हम भूल जाते हैं
अक्सर हम भूल जाते हैं,
उन बातों को जिन्हें भूलना नहीं चाहिए।
हमें नहीं भूलना चाहिए,
अपने संस्कार अपने मूल्यों को,
जो पहचान हैं हमारी मनुष्यता के।
अतिथि देवो भव और
वसुधैव कुटुंबकम् के भाव को,
जो पहचान हैं हमारी संस्कृति के।
दीन दुखियों,लाचारों की पीड़ा को,
जो दर्शाते हैं हमारी मानवीय संवेदना को।
बड़ों के सत्कार और छोटों के प्रति स्नेह,
जो दर्शाते हैं हमारी नैतिकता को।
निज हित को त्यागकर जन हित का मान
जो दर्शाता है राष्ट्र के प्रति समर्पण को।
निश्चित तौर पर हमें नहीं भूलना चाहिए।।
प्रेषक:कल्पना सिंह
पता:आदर्श नगर, बरा, रीवा ( मध्यप्रदेश)
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