कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

Kalam कलम

कलम


कलम - कलम क्या मैं हूं हर एक के हाथ ,
लिख दे बंदे , मैं हूं तेरे साथ ।

रूप दे दें अपनी कोमल कंठो से ,
विजेता बनाऊंगा , तुम्हें बिना मोटे डण्टो से ।

लिखना दो चार शब्दों की बात ,
मैं कभी नहीं आने दूंगा ,तेरा जीवन में अंधेरी रात ।

है विश्वास तो लिख दे बंदे ,
निराश मत होना मैं खोल दूंगा, तेरा सफलता की धन्धे ।

नहीं रहोगे तुम, नहीं रहेंगे हम ,
तुम्हारे कण्ठों  (हाथों ) की शब्द, मेरी लिखी हुई रंग
काग़ज़ की महत्त्व को कभी नहीं कर सकती कम ।

 रोशन कुमार झा 
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, 
कलकत्ता विश्वविद्यालय

No comments:

Post a Comment