कलम
कलम - कलम क्या मैं हूं हर एक के हाथ ,
लिख दे बंदे , मैं हूं तेरे साथ ।
रूप दे दें अपनी कोमल कंठो से ,
विजेता बनाऊंगा , तुम्हें बिना मोटे डण्टो से ।
लिखना दो चार शब्दों की बात ,
मैं कभी नहीं आने दूंगा ,तेरा जीवन में अंधेरी रात ।
है विश्वास तो लिख दे बंदे ,
निराश मत होना मैं खोल दूंगा, तेरा सफलता की धन्धे ।
नहीं रहोगे तुम, नहीं रहेंगे हम ,
तुम्हारे कण्ठों (हाथों ) की शब्द, मेरी लिखी हुई रंग
काग़ज़ की महत्त्व को कभी नहीं कर सकती कम ।
रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,
कलकत्ता विश्वविद्यालय
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