मधुशाला
ख़ुशी का खुमार, दिल दरबार, मांगता चार चार,
हंसते हजार, सजते बाजार, सुधा रस साकार,
सजगता सरकार, गई हार, लॉकडाउन का दिवाला,
बड़े दिन बाद, हुई आबाद, आज मधुशाला।
देव देवालय, वाचनालय, बंद सब आलय,
रस घालय, प्रेम पालय, खुली है मदिरालय,
तोड़ लय, छोड़ संशय, बोला पीनेवाला,
बड़े दिन बाद, हुई आबाद, आज मधुशाला।
आई अपार, भीड़ भाड़, भारी बेशुमार,
लागा लार, रस्ते रार, हुड़दुंग हजार,
बोले बारंबार,टपकावे लार, जल्दी करो लाला,
बड़े दिन बाद, हुई आबाद, आज मधुशाला।
शाम सुस्ताती, आई अलसाती, भर पैग साथी,
जाम टकराती, धड़कन गाती, मद मद मुस्काती,
होंठ हरसाती, सुरुर सजाती , झूमता मतवाला,
बड़े दिन बाद, हुई आबाद, आज मधुशाला।
ब्रह्मानंद गर्ग "आनंद"
भाडली, जैसलमेर(राज)
पिन ३४५०२७
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