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तुम याद आते हो tum yaad aate ho

शीर्षक :- तुम याद आते हो

कुछ इस तरह याद आते हो फिर आकर चले जाते हो।
जब कुछ गुनगुनाती हुँ मैं फिर तुम नजर आते हो।।
कभी दर्द बनकर दिल दुखाते हो, फिर सांस बनकर खुशी बन जाते हो।
मेरी धड़कन भी चाहती हैं कभी गूँजो तो इस तरह ।
ना निकल सके ना छुप सके वो आँशु बन जाते हो।
कभी दूर जाकर कभी पास आकर ,तुम याद आते हो अक्सर याद आते हो।।

रचनाकार
पवन कुमार सैनी
शिक्षक एवं साहित्य प्रेमी
अलवर ,राजस्थान

23 comments:

  1. क्या बात हैं !! बहुत खूब 💐💐💐👌👌

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  2. बहुत बढिया कविता है, बहुत मधुर है़।

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  3. Bahut Nadiya sir��������������proud of u��

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  4. Bahut badiya sir ji🙏🙏🙏🙏🙏

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  5. बहुत खूब गुरु जी....

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  6. गज़ब
    बहुत अच्छा

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  7. आप सभी का दिल की गहराइयों से स्वागत

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  8. अद्भुत 👌 👌 कल्पनातीत 🙏 💐 💐 जय हिंद 🇮🇳जय जवान 🙏

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  9. वाह
    बहुत सुंदर

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  10. Tahe Dil se aabhar guruji excellent poem

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  11. कुछ इस तरह से याद आते हो तुम
    क्यों पास आकर दूर जाते हो तुम
    कुछ इस तरह मनमानी जताते हो तुम
    क्यों ना नज़दीक आकर गले लगाते हो तुम


    पवन जी बहुत अच्छा लिखते हैं आप।
    चंद पंक्तियों से समीक्षा की है।
    इसी तरह बढ़ते रहिए।


    पूनम भाटिया

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    1. आपके भी आभार इस स्नेह के लिये

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