ये दौर भी गुजर जाएगा
महामारी से क्लांत भुव की
बिलखती सी इन आवाज़ों के बीच
अचेतन सी पड़ी इन गलियों में
मस्ती का स्वर भी गुनगुनाएगा ।
ये दौर भी गुजर जाएगा ।।
पाषाण से हृदयों को लेकर
पग पग पर कंटकों का सामना कर
लेकर कुटुंब की थाती को
मजदूर भी घर पहुंच जाएगा ।
ये दौर भी गुजर जाएगा ।।
दूरियों को दवा बनाकर
अभिवादन का तरीका बदल
आनन को दुकुल से ढककर
फिर से भारत मुस्कुराएगा ।
ये दौर भी गुजर जाएगा ।।
पटरियों का सूनापन,सड़कों की चुप्पी
दूर जो हुई स्नेह की झप्पी
बाजार में सौदे की अफरातफरी
कर्फ्यू भी किसी दिन हट जाएगा ।
ये दौर भी गुजर जाएगा ।।
फिर से मिलन जुलन होगा
चहलकदमी का आलम होगा
खुशियों का पैग़ाम होगा
कोरोना खुद इतिहास बन जाएगा ।
ये दौर भी गुजर जाएगा ।।
अंजू अग्रवाल ( खेरली ,अलवर )
शिक्षिका व कवयित्री
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