।। मै कलम हूँ।।
लिखने का मै तौर तरीकाके से ज्ञ तक मुझसे सीखा।
मेरे बिना जग है फीका
मै कभी न होती नम हूँ।। मै कलम - - -
ज्ञान की पहली पावदान हूँ
विद्वानों की चमक शान हूँ।
कवियों के अंतस की प्रान हूँ
विरहिणियों की मै गम हूँ।। मै कलम - - -
कवियों की मै कवित्व शक्ति हूँ
राधा की मै महा भक्ति हूँ।
जन चेतना की प्रथम पंक्ति हूँ
रहती कभी न मै सम हूँ।। मै कलम----
अरि मस्तक को सदा कुचलती
कटे हुए सर पर भी मचलती।
सुरा सुन्दरी बन जाम मे ढलती
मै योद्धाओं की अंतिम दम हूँ।। मै कलम - - - - -
आज हैं मेरे रूप अनेक
काम सदा करती मै नेक।
मिटा है वो जिसपर धरी हूं टेक
समर भूमि में एटम बम हूँ।। मै कलम---
प्रेयसियों की मिलन कड़ी हूँ
दो दिलों की जोड़ बड़ी हूँ।
बच्चों की मै धूप घड़ी हूँ
चारपाई पर पड़ी सनम हूँ।। मै कलम - - - -
सही नियत नेताओं की करती
भ्रष्टाचार के विरुद्ध मै लड़ती।
बाजारों के भाव जकड़ती
अहंकारियों की मै हम हूँ।। मै कलम - - - - -
मीरा तुलसी सूर कबीर
पाकर हमें चलाये तीर।
राम कृष्ण की मै जागीर
बुद्ध ज्ञान की मै शबनम हूँ।। मै कलम - - - -
हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई
लेती हिसाब मै पाई- पाई।
बहनों की हूं रक्षक भाई
जग नियंत्रण मे सक्षम हूँ।। मै कलम - - - -
पुस्तकों की महाप्राण हूँ
ऋषियों की पदत्राण हूँ।
शिक्षा बन वेदों की घ्राण हूँ
तपस्वियों की मै संयम हूँ।। मै कलम - - -
मेरा वृत्तांत विशद है ऐसा
लिखने चला है मूरख कैसा।
मुझपे व्यर्थ हैं रुपया-पैसा
सख्त नियम मे मै यम हूँ।। मै कलम - - - - - -
स्वरचित मौलिक
।। कविरंग।।
पर्रोई - सिद्धार्थ नगर( उ0प्र0)
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