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लघुकथा पूजाघर laghukatha pujaghar

लघुकथा पूजाघर

आज कमलेश्वर अपने बेटे के नए घर मे रहने आया था।
घर नया था ,साफ और बहुत सुंदर ....साथ ही सुसज्जित भी।
सारे आराम के साधन होने पर भी मन बेचैन ,आखिर क्यों?..... कमलेश्वर सब कुछ अस्थिर मन से देख रहे थे ।
"पापा" .... "पापा"... मयंक ने आवाज दी।
"हाँ बेटा"
"कैसा लगा घर ... पापा"
"बहुत अच्छा है"
"आपके रूम को बिल्कुल आपके हिसाब से हिना ने खुद सजाया है, ये देखिए पापा ,बालकनी और गार्डेन में सब पौधे आपकी पसंद के ,यहाँ पर आप और नन्नू खेल भी सकते हो और हम सब भी आपकी नजर में रहेंगे , लाइब्रेरी में आपकी पसंद का साहित्य भी है पापा , ये भानू और ये मीना घर के काम के लिए है आप इन्हें कभी भी आवाज़ दे सकते हो "... मयंक ने सब कुछ  प्रसन्नता से चहकते हुए बताया।
..... पर कमलेश्वर की निगाहें कुछ और ही खोज रही थीं।
पापा .... क्या ढूंढ रहे हो...???
"बेटा..... पूजाघर"...???


डॉ ज्योत्सना गुप्ता

पता अलीगंज रोड, निकट रेलवे क्रासिंग, 
गोला गोकरननाथ ,जिला लखीमपुर खीरी
उत्तर प्रदेश

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