मेरे हमसफर
जब से आए हो तुम मेरे जीवन में,
जिंदगी खुशनुमा सी लगती है।
मुरझा गई थी जो अरमानों की बगिया,
वो अब खिली खिली सी लगती है।
मेरे दिल मेरे खयालों में तुम ही रहते हो,
मेरे चेहरे पर मुस्कान तुम्हारी बसती है।
निगाहों को तलब है तुमसे दीदार की,
हर घड़ी सांसें बेकरार रहती हैं।
तुमसे मुलाकात होगी कभी न कभी,
मेरी धड़कन यह मुझसे कहती है।
प्रेषक :कल्पना सिंह
पता:आदर्श नगर, बरा, रीवा (मध्य प्रदेश)
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