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बैरंग लौटी बारात, तो बाराती के सिर सजा दुल्हें का ताज corona me dulha dulhan ki shadi bin barati

शीर्षक:- बैरंग लौटी बारात, तो बाराती के सिर सजा दुल्हें का ताज



 एक गाँव में दो शराबी दोस्त रहते थे । एक का नाम था जीतू तथा दूसरे का नाम था शैतान । दोनों रईस बाप की बिगड़ी हुई औलाद थी । नशे की लत होने के कारण पैतृक संपत्ति को कौड़ियों के भाव बेच दिया । काम-धंधा कुछ करना नही, बस जितना कमाया उतना ही खर्च । इन दोनों की शराब की लत को देखकर घरवालें भी परेशान रहते थे । एक दिन शैतान के घर पर नाथू राम का आना हुआ जो उस गाँव के बड़े पंच पटेल थे । शैतान के पिताजी विरमदास बाहर बगीचे में बैठे थे । नाथूराम ने विरम दास से हाल-चाल पूछे । फिर बच्चों के काम काज के बारे में पूछा तो विरम दास का गला बैठ गया और आँखों से आँसू निकल पड़े । उन्होंने बताया कि मेरा इकलौता बेटा जो शराब की लत में ऐसा पड़ गया है कि इसकी हरकतों के फलस्वरूप मुझे जमीन जायदाद बेचनी पड़ी, उधारी का कर्ज भी बढ़ गया, समाज में पद प्रतिष्ठा भी जाती रही । इससे अच्छा तो यह होता कि बेटा होता ही नही तो शुकुन से तो जीता । अब तो हालत यह हो गई है कि सुबह-शाम इसकी रखवाली करनी पड़ती है, नही तो कभी शहर की गंदी नालियों के पास तो कभी कचरे के ढेर के पास से इसको उठाकर घर लाना पड़ता है । और दूसरी बात यह है कि इसका एक दोस्त जीतू जो इसे शराब के साथ साथ अफीम -डोडा का भी सेवन कराता है ।
   दरअसल नाथूराम को मामला समझते देर नही लगी क्योंकि जीतू नाथूराम का ही लड़का था । नाथूराम तो आए ही शैतान की शिकायत उसके पिताजी विरमदास से करने आये थे । पर यहाँ तो बाजी पलट गई ।
तो नाथूराम ने वस्तुस्थिति को भांपते हुए विरमदास से चर्चा की ,कि इन दोनों की इस आदत को छुड़ाने के लिये इनकी शादी कर देते हैं । यदि शादी करेंगे तो इनके कंधों पर जिम्मेदारी आएगी । जिम्मेदारी मिलेगी तो इनको अपनी आदतों में भी बदलाव करना पड़ेगा । 
नाथूराम का यह सुझाव विरमदास को अच्छा लगा । उन्होंने रती भर देर करना उचित नही समझा और पंडित आचार्य रतनलाल को बुला लिया । पण्डित जी ने दोनों का रिश्ता पड़ौस के गाँव की दो सगी बहिनों के साथ कराया । जिनका नाम था- कृष्णा एवं चम्पा । दोनों गरीब परिवार से थी ,पर अच्छी पढ़ी-लिखी संस्कारवान , सुशील कन्याएं थी । कुछ महीनों बाद पण्डित जी ने शादी का शुभ मुहूर्त निकाल कर दिया । निश्चित समयानुसार शादी की तैयारियां की गई । फिर बारात लेकर गाजे-बाजे के साथ दुल्हन पक्ष के वहाँ पहुँचे । वहाँ बारात का स्वागत सत्कार किया गया । फेरे देरी से होने के कारण जीतू को झपकियाँ आने लगी, तभी उसके दोस्त ने कहा कि इसको थोड़ा शराब का घूँट दिया जाए ,जिससे इसको नींद नही आएगी । फिर क्या था , दोस्तों ने मजाक-मजाक में दोनों दूल्हों को टल्ली बना दिया ।  थोड़ी देर बाद दूल्हों को मंडप में ले जाया गया । पण्डित जी ने अग्नि के समक्ष फेरे शुरू करवाए । जीतू के शराब ज्यादा पी हुई होने के कारण सही ढंग से चल नही पा रहा था । वह डगमगाते हुए चँवरी पर गिर गया । जिससे प्रज्वलित हो रही अग्नि बुझ गई । इस घटना से वधू पक्ष के लोगों में नाराजगी हो गई । वहीं दुल्हन चम्पा ने भी शादी करने से इनकार कर दिया । तब वर पक्ष के लोगों ने काफी मिन्नते की, तब जाकर आगे की विवाह की रस्में शुरू हुई । सात फेरे पूरे होने के बाद जब दुल्हें एवं दुल्हन आपस में  वरमाल डाल रहे थे, तब शैतान ने एक ऐसी हरकत कर दी कि पांडाल में भूचाल आ गया । हुआ यूँ कि शैतान ने भी जीतू की तरह शराब पी रखी थी । आँखे एकदम लाल और पैर डगमगा रहे थे । सीधा तो ढंग से खड़ा हो ही नही पा रहा था । उधर दुल्हन कृष्णा की तबीयत भी थोड़ी ठीक नही थी । और फेरों के समय रूदन करने से उसे चक्कर आ रहे थे । तब कृष्णा को सहारा देने के लिये उसकी भाभी भंवरी जो दुल्हन के जैसे ही कपड़े पहन रखे थे, वो खड़ी थी । शैतान को वरमाला दी गई , जब वो वरमाला पहना रहा था तो उसने अपनी दुल्हन कृष्णा को न पहनाते हुए उसके पास खड़ी दुल्हन की भाभी भंवरी को पहना दी । इस घटना से नाराज होकर वधु पक्ष ने दोनों शराबी दूल्हों के साथ शादी करने से इंकार करते हुए बारात बैरंग लौटा दी । लेकिन उसमे से दो बाराती जो खाना खाने के बाद पड़ौस में रिश्तेदार के घर पर सोने चले गए । उधर बारात को बैरंग लौटाने का समाचार मिला तो वो दौड़कर दुल्हन के घर पहुँचे और मामले की जानकारी ली । वहीं अब दोनों चँवरी चढ़ी हुई कन्याओं का विवाह भी करना अनिवार्य था ,तभी इन दोनों बाराती जो कुँवारे थे एवं कारणवश पीछे रह गए थे । इन्होंने शादी का प्रस्ताव वधु पक्ष को दिया । इनका नाम था - चेतन एवं भैरव । इनके भाग्य का सितारा चमक उठा । क्योंकि ये दोनों सरकारी सेवा में थे । और उधर वधू पक्ष ने भी शादी के प्रस्ताव पर सहमति जता दी थी । तब हाथों हाथ ही शादी की रस्में पूरी की गई । उधर जीतू एवं शैतान की बारात बैरंग लौटने पर गाँव में हँसी उड़ने लगी । अपने इस तरह के अपमान को देखकर उन्होंने जीवन में कभी शराब न पीने का संकल्प लिया । उन्होंने अपने घरवालों को भी इस संकल्प के बारे में बताया । घरवालों के लिये यह फैसला दुल्हन मिलने से कहीं ज्यादा शुकुन देने वाला था क्योंकि उनकी शराब की आदत से हमेशा के लिये पीछा छूटने जा रहा था ।
वहीं दूसरे दिन भैरव एवं चेतन अपनी नई नवेली दुल्हनों को लेकर गाँव आए । घर में आदर सत्कार में साथ स्वागत किया गया । चेतन एवं भैरव का घर जीतू एवं शैतान के घर के पास ही था । अब जीतू एवं शैतान को अक्ल ठिकाने आ गई थी । जब भी शराब का ख्याल आता तो कृष्णा एवं चम्पा की छवि दिमाग में उभर जाती । कुछ महीनों बाद चम्पा एवं कृष्णा दोनों का भी सरकारी सेवा में चयन हो गया । गाँव में बधाइयां मिलने लगी क्योंकि इससे पहले गाँव में कोई भी महिला सरकारी सेवा में नही थी ।
  अपनी फूटी किस्मत को देखकर शैतान एवं जीतू ने गाँव छोड़कर शहर में जाकर व्यवसाय शुरू किया । वहाँ अच्छे दोस्तों के संपर्क में रहा । जिसका परिणाम यह मिला कि उनके व्यापार में भी तरक्की हुई एवं शहर में नया रिश्ता करके अपना गृहस्थी जीवन भी बसा लिया । 

नोट:- कहानी में उल्लेखित पात्रों के नाम काल्पनिक है, वास्तविकता से इसका कोई संबंध नही है ।

रचनाकार 
कैलाश गर्ग रातड़ी
शिक्षक
उपखण्ड -शिव जिला बाड़मेर राजस्थान

11 comments:

  1. अच्छी प्रेरणादायक कहानी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  2. लेकिन इन दोनों शादियों के के दिन पड़ोस में एक ओर शादी हो रही थी कैलाश वेड्स वर्षा जिनके बाराती भी हमारे साथ ही आये यही खाना खाया ।
    सुना था कि कैलाश के फेरो से पहले ही मसाज रस्म अदायगी कर दी गयी ।
    वर्षा से शादी तो दूर 376 का मामला बना दिया उसका जिक्र नही किया।
    जीतू ओर शैतान ने भाण्डा रहना सहर्ष स्वीकार किया ताकि स्वतन्त्र जिंदगी जी सके।
    😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂

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    1. पहचान छुपा कर कमेंट करना अच्छा है । वर्ना लोगों को पता चल जायेगा कि ये ही वो बदनसीब दूल्हा है ।
      कोई बात नही गम नही करे, आपके गृहस्थ जीवन के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ । 💐💐

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  3. Wah bhai wah ....लाडो रे छापा दराया कोनी ....

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  4. कहानी अच्छी लगी

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  5. अति सुन्दर कहानी !

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