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बच्चो का व्यवहार माता पिता के संस्कारों को दर्शाता हैं baccho ka vyvhaar mata pita ke snskaron ko darshata h

*बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान*

*बच्चो का व्यवहार माता पिता के संस्कारों को दर्शाता है - विष्णु पुजारी*

इस अभियान से जुड़ने के बाद मुझे ही नही मेरे बच्चें व मेरे सपरिवार को भी बहुत कुछ सीखने को मिला है और आज सभी जब भी किसी से मिलते है तो इस विषय पर अवश्य चर्चा करते है।

*अगर बच्चों में अच्छे संस्कार नही होंगे तो बच्चें कभी भी माँ बहिन बेटियों की इज्जत नही कर पाएंगे क्योकि ना हमने उन्हें संस्कार दिए और ना ही हमने अपने बच्चों को माँ बहिन बेटियों की इज्जत करना सिखाया। पर सच तो यह है जब अपने परिवार की अपनी बहिन बेटियों के साथ कुछ गलत होगा तब शायद मेरी ये बातें मेरे ये विचार एवं इस अभियान के द्वारा दिया गया सन्देश अवश्य याद आयेगा।*

*कोरोना स्पेशल - मिट रहे संस्कारों की अलख को जगाने के लिए सभी समानता व मरुधर भारती की विशेष रिपोर्ट*

*सालासर धाम - 17 - मई - 2020*

*धीरे धीरे मिट रहे संस्कारों की अलख को जगाने के लिए बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान निरन्तर प्रयास करते नजर आ रहा है। मैं बड़ा सौभाग्य शाली हु की मुझे इस अभियान से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और अपने विचारों के माध्यम से समाज देश को बदलने का मौका मिला। अक्सर मैंने अपनी कलम से कभी भी किसी भी प्रकार के कोई विचार नही लिखे ओर ना कभी संस्कारों के मुद्दे पर किसी ने चर्चा की, लेकिन जब से इस अभियान के साथ जुड़ा हु तब से मुझे बहुत कुछ सीखने व विचारों को लिखने का यश प्राप्त हुआ है। इस अभियान से जुड़ने के बाद मुझे ही नही मेरे बच्चें व मेरे सपरिवार को भी बहुत कुछ सीखने को मिला है और आज सभी जब भी किसी से मिलते है तो इस विषय पर अवश्य चर्चा करते है। और सच ही तो है बेटियों को बचाना व पढ़ाना है तो बेटों को शिक्षित के साथ - साथ संस्कारित तो करना ही पड़ेगा, क्योंकि अगर बच्चों में अच्छे संस्कार नही होंगे तो बच्चें कभी भी माँ बहिन बेटियों की इज्जत नही कर पाएंगे क्योकि ना हमने उन्हें संस्कार दिए और ना ही हमने अपने बच्चों को माँ बहिन बेटियों की इज्जत करना सिखाया।* पर सच तो यह है जब अपने परिवार की अपनी बहिन बेटियों के साथ कुछ गलत होगा तब शायद मेरी ये बातें मेरे ये विचार एवं इस अभियान के द्वारा दिया गया सन्देश अवश्य याद आयेगा। जब से कोरोना वायरस जैसी महामारी आई है तब आखिर बात संस्कारों पर आ ही गई। अतः विचारों की आगे की कड़ी में कहना चाहूंगा कि मित्रों जैसे आनुवंशिक रोग ख़तरनाक होते है वैसे ही आनुवांशिक संस्कार भी अगर गलत हो तो ख़तरनाक साबित होते है।

आनुवांशिक रोग जैसे मधुमेह, रक्तचाप,इत्यादि का हमारे चिकित्सक ज्ञान कराते है,वैसे ही माता पिता व घर के बुजुर्ग अपने बच्चों को संस्कारों का ज्ञान कराते है।
जैसे चिकित्सक आपकी शारीरिक बीमारियों को समझता है वैसे ही माता पिता अपने बच्चों की बीमारियों (संस्कारों की कमी) को समझे और उनका उचित इलाज़ करे तो भारत के भविष्य (बच्चे) निश्चित ही देश,समाज, सपरिवार और अपने कुटुंब का नाम रोशन करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ज्योतिस्वरूप भी जन्म से लेकर 21 वर्ष तक मुख्य रूप से संस्कारों का निर्माण होता है। इस अवस्था में पड़ी हुई आदतें ही आगे चलकर संस्कार का रूप ले लेती हैं,खान पान से लेकर मित्रता और पूजा उपासना तक। हर छोटी बड़ी चीज का अपना महत्व होता है। बच्चे के ऊपर माता-पिता के संस्कारों का प्रभाव भी पड़ता है, इसका ध्यान रखना चाहिए।
माता पिता व्यस्तता के कारण अगर बच्चों को समय नहीं दे सकते तो निवेदन करता हूं कि वो कम से कम इन 4 बातों को लेकर अपने बच्चों पर अवश्य ध्यान दे-
*1* - बच्चा माँसाहारी, मदिरा पान का आदी ना हो।
*2*- घर मे पाठ पूजा और शुद्ध सात्विकता का माहौल हो।
*(चाहे मात्र एक हनुमान चालीसा का पाठ ही क्यो न हो)*
*3*-माता पिता का अपने बुजुर्गों के प्रति आदर भाव हो।
*4*-बच्चों को बुजुर्गों के साथ रहने की शिक्षा दे।
आशा ही नहीं मेरा पूरा विश्वास है कि आपके बच्चों में कुसंस्कारों का आगमन नहीं होगा।
बुजुर्गों का सम्मान होगा तो आपका,मेरा,हमारा,हम सबका देश,घर,समाज,कुटुंब,महान होगा।

*विष्णु पुजारी*
*सालासर धाम*
*बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान✍️*

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