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कविता -आवाज़े आईना Awaz Aaina कवि मुकेश भटनागर

 आवाज़े आईना        


एक बार तो सुनो कभी आवाज़े आईना

हमको हमारा हाल सुनाता है आईना

आवाज़े आईना एक राज़े आईना

एक बार तो सुनो कभी आवाज़े आईना

हमको हमारा हाल सुनाता है आईना


बेख़ौफ़ बेफिक्र रहता है आईना

हाज़िरजवाब हरदम नाज़ुक सा आईना

चेहरे पे दाग़ है या तिल कहता है आईना


राजा रंक दोनों से कहता है आईना

बंदे हैं एक ख़ुदा के बताता है आईना

वक़्त वक़्त की है बात बताता है आईना


एक बार भी जो बात आईने से ना कर सका

राहे खुदा पे वो कभी आगे ना बढ़ सका

कहता है हर शख्स से घर घर का आईना


बेज़ुबान आईना सच ही बोलता है

रूबरू जो बैठो एकदम से बोलता है

सोया नहीं है एक पल सदियों से आईना


कवि

मुकेश भटनागर"आवाज़,

 वैशालीनगर, भिलाई

93036 55494

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