मेरा गांव
यह गांव ही है जो कभी किसी को
मरने नहीं देता।
यह गांव ही है जो किसी को
मारने भी नहीं देता।
यहाँ भले ही ऊंची-ऊंची
बहु मंजिला इमारतें न हों
लेकिन दिल बडा और हौंसले ऊंचे हैं ।
शहर की तरह दिल छोटा नहीं है-
एक छोटा सा तूफान आया तो
बत्ती गुल हो गई
और ...
दिलों में अन्धेरा छा गया ।
यहाँ चौडी-चौडी और लम्बी-लम्बी
सड़कें भी नहीं हैं
गलियां हैं सकरी सी
पर...
आपस का प्रेम
बड़ा चौडा और लम्बा है
गाँव के पहले घर से शुरु होकर
अन्तिम घर तक जाता है ।
आज किस घर में गाय ने
बछडे को जनम दिया है
जग्गू की बेटी की सगाई
किस गांव में हुई है
कल सूरज का भाई नौकरी पर से
घर छुट्टी आया है
सबको पता होता है ।
यह भी पता होता है कि आज
चंदन को बुखार आ गया है
हीरा काकी की टाँग में
ठोकर लगने से मोच आ गई है
गोपी दादा अब कुछ दिन का मेहमान है
सबको पता है कि जुगल के खेत में
गेहूं की फसल लहरा रही है
गोपाल के खेत में चने में फूल खिल रहे हैं
रमेश की सरसों ने पीली चादर ओढ़ली है ।
सबको सब पता होता है क्योँकि यह गांव है
गाँव में प्रेम है ,अपनत्व है,
यहां भाईचारा है
यहां नहीं भागते हैं लोग
कागज के चंद टुकड़ों के पीछे
यहां मशीन नहीं, इन्सान निवास करते हैं
और इंसानों में दिल धडकता है।
कान्ति प्रसाद सैनी
(वरिष्ठ अध्यापक)
जनूथर (डीग) भरतपुर
शानदर कृति
ReplyDeleteSuper guru ji
ReplyDeleteSuper guru ji
ReplyDeleteअद्भुत, अकल्पनीय शानदार
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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