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Hathini ki mrityu se meri aankh bhar aai देख मेरी आँख भर आई ,

देख मेरी आँख भर आई ,

विधा :- कविता

देख मेरी आँख भरआई, मानवता फिर शरमाई ,
गर्भवती हथिनी को मारकर क्या हुआ तेरा भलाई ,
हम रोशन पूछ रहे हैं, तुम्हीं से पढ़े लिखे केरल की भाई ।
पूजा करते हो श्री गणेश के, उनका भी यह काम आई ‌।।

उन्हीं को अनानास में आतिशबाज़ी बम देकर खिलाई ,
बनना है तो , प्रकृति की मित्र बन, मत बन कसाई ।
मत खिलाता, खिलाकर क्यों तड़पायी ,
जीव जंतु मानव, मानव जानवर बनकर फिर शर्मायी ।।

यह जगत सबके लिए प्रभु है बनाई ,
जीओ, और जीने दो भाई ,
देखकर घटना आँख में आंसू भर आई ,
तब न मानवता, फिर शर्मायी ।

रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता

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