कविता बादल
प्रकृति कर रही हैं आदर ,
आसमान में छाई है बादल ।
अब रहा न कल वाला कल ,
होगी वर्षा, बरसेगी जल ।।
नव पत्ती खिलेंगी ,
प्यासी प्रकृति वर्षा का जल पीलेगी ।
कब आसमान को काला , बादल कर देगी ,
तब धरती पर जल बरसेगी ।।
गर्मी जायेगी
हरियाली आयेगी ।
मौसम की बदलाव लायेगी ,
कब जब बादल छायेगी ।
रंग रूप विकराल ,
करके अंधकार ।
न वह , न उसका कोई है सरकार ,
वह है बादल, जिसे जानते हम रोशन और संसार ।।
रोशन कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी बिहार
No comments:
Post a Comment