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शिक्षक हैं या रोबोट क्या-क्या करेगा मास्टर shikshak h ya robot kya kya krega master

शिक्षक हैं या रोबोट क्या-क्या करेगा मास्टर

मास्टर का मतलब यह नहीं होता कि सभी कार्यों के लिए मास्टर सही में मास्टर होगा। कभी - कभी दूसरे विभाग के कार्यों को करते करते मास्टर का पद ही त्यागने का ख्याल आने लगता हैं। एक समय था जब हर कोई मास्टर बनने की सोचता था, लेकिन आज कल वैसा नहीं हैं क्योंकि शिक्षक को अपने कार्य के अलावा अन्य कार्यों में लगा दिया जाता हैं। इसके चलते आज कल युवा शिक्षक इस नोंकरी से कतराने लगे हैं। एक समय था जब गुरु पद व शब्द को सभी पदों व शब्दों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता था। लेकिन वर्तमान में गुरु व उनके पद की गरिमा व महिमा खत्म हो चुकी है। सरकार की नीति, आम जनता की उदासीनता तथा गुरुजी की लाचारी, इस गुरु पद को सिर्फ एक पेशा बनाकर छोड़ दिया, इस पेशे में भी सरकार ने अनेक पेशे गुरुजी और दे दिए, जिसके कारण शिक्षक का मूल कार्य शिक्षण तो अब सिर्फ शब्द रह गया है। आज के समय में गुरुजी से शिक्षण कार्य कम अन्य कार्य ज्यादा करवाये जा रहे है, जिससे शिक्षण व्यवस्था व शिक्षा स्तर कमजोर हो रहा है, फिर भी गुरुजी गंभीर होकर अपने कर्त्तव्य पर तन मन धन से डटे हुए है।
इस कोरोनाकाल में भी कोरोना वॉरियर्स की पहली कड़ी में शिक्षक ही आते है। इन शिक्षकों की रिपोर्ट से ही यह पता चलता है कि किस क्षेत्र में कितने लोग प्रवासरत है, कितने प्रवासी वापस अपने घर आए है, कितने व्यक्ति होम आइसोलेशन में है, कितने लोग क्वारन्टीन सेंटर पर है, क्षेत्र में कुल कितने लोग है, कितने लोग है जो खाद्य सामग्री की लिस्ट में है, कितने लोगों की तत्काल सहायता की जरूरत है, यह सब जानकारी एक शिक्षक रखता है। होम आइसोलेशन में लोगों को पाबंद करना, उनकी देखरेख करना, कोरोना से सम्बंधित लक्षण दिखने पर डॉक्टर तक तुरंत सूचना देना, खाद्य सामग्री वितरित करवाना, भीड़ भाड़ से बचने के लिए लोगों को जागरूक करना, कन्ट्रोल रूम प्रभारी, सीमा प्रहरी, सरकार की अनेक योजनाओं को आम जनता तक पहुँचना, यह सब काम आज शिक्षक कर रहे है, लेकिन कोरोना वारियर्स की लिस्ट में आजकल सिर्फ तीन शब्द व पद ही निकलते है, कभी कभी तो एयरकंडीशनर में बैठे बैठे लोग भी कोरोना वॉरियस का सम्मान पत्र ले लेते है।
शिक्षक के अलावा बाकी सभी कार्मिक अपने-अपने कार्य पर लगे हुए है, लेकिन एक शिक्षक को अन्य विभागों के कार्य भी करने पड़ रहे है। यह संसार का नियम है, जो अपना काम छोड़कर दूसरा काम करेगा तब व्यक्ति की छवि बिगड़ने लगती है, यही काम आज शिक्षक से करवाये जा रहे है।
प्राकृतिक आपदा व इस महामारी में हम सबका कर्तव्य बनता है, कि राष्ट्रहित व जनता के हित में हमें जो भी काम दिया जाता है, उसे हमें पूरे मन से, रुचि व खुशी से करना चाहिए । हाँ, हम शिक्षक यह सब काम इस समय कर भी रहे है। 
प्राकृतिक आपदा व महामारी का दौर 100 सालों में कभी कभार आता है,लेकिन शिक्षक को तो इन आपदाओं के न होने पर भी अन्य कार्यो में लगा दिया जाता है, जिससे शिक्षण कार्य बहुत प्रभावित होता है, क्योंकि जब अनेक काम एकसाथ करना होता है, तो उस काम में 100 प्रतिशत सफलता नही मिलती। 
अतः शिक्षास्तर के सुधार में अमूलचूल परिवर्तन के लिए सरकार व आम जनता से निवेदन रहेगा की, प्राकृतिक आपदा या महामारी के अलावा किसी भी समय शिक्षक को अन्य कार्य में नही लगाए।
एक शिक्षक की साथियों के प्रति वेदना।

लेखक-नरपतराम जांगिड़ पनावड़ा(पेशे से शिक्षक है)

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