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सादुल फैमिली कोरोना वॉरियर्स की भूमिका में दे रहे हैं सेवाएं

सादुल फैमिली कोरोना वॉरियर्स की भूमिका में दे रहे हैं सेवाएं

               आमजन में व्याप्त भय के बीच कोरोना जंग में हमारी हिफाज़त कर रहे चिकित्सक, नर्स, एम्बुलेन्स कर्मी, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी, सफाईकर्मी, जलदायकर्मी, बिजलीकर्मी, दूरसंचारकर्मी, शिक्षक, ग्रामसेवक, पटवारी, मंत्रालयिक कर्मचारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, आशा सहयोगिनी तमाम प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सेवाएं दे रहें कोरोना के कर्मवीर बधाई के पात्र है । इसी कोरोना की जंग में सादुल परिवार के दर्जनभर से अधिक सदस्य विविध पदों एवं विविध विभागों में दूर-दूर इलाकों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं । 

सादुल परिवार के सदस्य डॉक्टर नेमीचंद गर्ग जो कि बाड़मेर के जिला अस्पताल में कोरोना संदिग्धों की स्क्रीनिंग इत्यादि का जिम्मा सम्हाल रहे हैं । ओमप्रकाश गर्ग प्रधानाचार्य एवं पदेन पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी शिक्षा विभाग में कार्यरत है एवं वर्तमान में कोविड -19 निगरानी सतर्कता समिति कुण्डा के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं । इसी तरह जुगताराम गर्ग जो कि राजस्थान पुलिस में एएसआई के रूप में फलसूण्ड थाने में तैनात है तथा थाना क्षेत्र की सुरक्षा का जिम्मा सम्हाल रहे हैं । इसके अलावा कैलाश गर्ग (व्याख्याता), हरिप्रसाद गर्ग ( वरिष्ठ अध्यापक ), ओमप्रकाश गर्ग ( वरिष्ठ अध्यापक),  बालकृष्ण गर्ग (वरिष्ठ अध्यापक), भंवरू राम गर्ग (अध्यापक ) नथाराम गर्ग ( हैल्पर जलदाय विभाग), रूपा राम गर्ग (हैल्पर जलदाय विभाग), राणा राम गर्ग ( कनिष्ठ सहायक), पीयूष गर्ग (पटवारी गोगुंदा उदयपुर ), गेना राम गर्ग ( वेटरनरी इंचार्ज ), केवलचंद गर्ग ( पंचायत सहायक ), योगेश गर्ग ( मेल नर्स ) , गुड्डी देवी एवं गीता देवी (आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ), सुशीला देवी (सहायिका ) इत्यादि कोरोना कर्मवीर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।

"आइये जानते है सादुल फैमिली के बारे में" :-


राजस्थान में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़े जिले जैसलमेर की फतेहगढ़ तहसील के छोटे से गाँव गुहड़ा जिसको सादुलधाम के नाम से भी जाना जाता है । इस गुहड़ा गाँव में सूफी संत शिरोमणि सदाराम जी महाराज का भव्य मंदिर बना हुआ हैं । जहाँ न केवल देशभर से अपितु पड़ौसी देश पाकिस्तान से भी श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं । सदाराम जी का जन्म विक्रम संवत 1863 में चैत्र शुक्ल द्वितीय को एवं निर्वाण विक्रम संवत 1936 में चैत्र शुक्ल चतुर्थी को हुआ था । प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला चतुर्थी को भव्य मेला भरता हैं । हालाँकि इस वर्ष कोरोना के लॉकडाउन एवं धारा 144 के कारण मेला प्रबन्धन कमेटी ने मेले का आयोजन स्थगित कर दिया था । संत सदाराम जी द्वारा लिखित पांडुलिपियां आज भी मौजूद है जिसमे ज्ञान का अथाह सागर है । संत सदाराम जी के दैवीय चमत्कारों की वजह से जन-जन की आस्था के प्रतीक हैं । जैसलमेर रियासत के तत्कालीन महाराजा केसरी सिंह ने भी सदाराम जी के चमत्कारों से प्रभावित होकर अपना गुरू बना लिया था एवं भेंट स्वरूप दो गाँवो की जागीरी प्रदान की थी । सदाराम जी का मुख्य मंदिर गुहड़ा (जैसलमेर ) में है तथा बाड़मेर, कोहरा, चेलक, जैसलमेर, मोहनगढ़, रामगढ़, रायपुर छत्तीसगढ़, नागोलड़ी तथा पाकिस्तान के पेरुमल, खिपरो एवं पुणसा में भी मंदिर हैं । उपरोक्त सादुल फैमिली इनकी वंशज है । 

साभार
कैलाश गर्ग रातड़ी
बाड़मेर राजस्थान

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