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ख़ुशी से जीवन जीना सीख रहा लॉक डाउन khushi se jivan jina sikha rha lockdown


कोरोना अनुभूति संस्मरण"

*ख़ुशी से जीवन जीना सीख रहा लॉक डाउन*


जीवन में चलते-चलते  पहियों का अचानक रुक जाना बहुत ही दुखदायी प्रतीत हो रहा था।चीन के वुहान शहर से निकला यह कोरोना वायरस लोगों के दिलों दिमाग में भय उत्पन्न कर रहा है।ऐसे में परिवार के साथ सभी लॉक डाउन में अपनी जिंदगी के उतार-चढ़ाव को महसूस कर रहे है। पारिवारिक माहौल में अचानक इतना समय बिताना सभी के लिए एक सुखद अनुभूति दे रहा है।बच्चे बहुत खुश नजर आ रहे है। काफी समय बाद माता-पिता का प्रेम अपनत्व एक साथ रहने का संजोग शायद जीवन में पहली बार बना है। लेकिन कोरोना वायरस के चलते सभी लोग अपने घरों में कैद हो चुके है।प्रशासन द्वारा नियमों का पालन कर रहे है। घर में एक सुखद अनुभूति और एक संस्कारी वातावरण निर्मित हो रहा है। प्रशासन द्वारा दिए जलाना, ताली बजाना एक उत्साहवर्धन त्यौहार की तरह प्रतीत हो रहा था। ग्रहणी अपनी पूरी उर्जा और तत्परता से घर में सभी की सेवा में लगी हुई है। बड़े बुजुर्गों की दवा समय पर खाना, नाश्ता बच्चों का रुचि अनुरूप उनके साथ समय व्यतीत करना। एक कोरोना कर्मवीर की तरह अपने कर्म का निर्वाह खुशी -खुशी कर रही है। यह भयंकर महामारी समाचार पत्रों पर द्वारा मिली जानकारियों के अनुसार सभी को अंदर ही अंदर भयभीत कर रही है। लेकिन परिवार का अपनापन खुशी के पल जो शायद बरसों पहले को खो चुके थे। उन पलों में परिवार के साथ समय व्यतीत करते हुए लोग आनंद की अनुभूति महसूस कर रहे है। हमारे देश के डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस, सफाई कर्मी यह अपनी-अपनी भूमिका का निर्वाह बहुत ही इमानदारी से कर रहे हैं।वर्तमान में कोरोना लॉक डाउन के अंतर्गत सभी परिवार अपने घरों में रहकर संस्कार, स्नेह, अपनत्व पाकर एक  पारिवारिक मजबूत रिश्तो  के एहसासों में बंध चुके है। हम सभी यह जान चुके है।
कि भौतिक संसाधनों की आवश्यकता का हमारे जीवन में कितना महत्व है। हम भौतिक संसाधनों के बिना भी खुशी से जीवन यापन कर सकते है।हमें जीवन में भौतिक संसाधनों के अलावा पारिवारिक अपनत्व और सहयोग की ज्यादा आवश्यकता है। हम जीवन में उससे कहीं अधिक जरूरतों को पाने की दौड़ में भाग रहे थे। लेकिन हम सब ने यह जाना कि इस ठहरे हुए  समय ने अमीर- गरीब सभी को यह एहसास करवा दिया है। कि जिंदगी में कम से कम आवश्यकताओं में भी हम जीवन यापन कर सकते है।कोरोना के लॉक डाउन से हमें यह सीख मिली है। और हम पुनः अपनी संस्कृति की ओर अग्रसर होते हुए नजर आ रहे है।आज यह एहसास प्रत्येक व्यक्ति को हो रहा होगा की जीवन का मूल्य अनमोल है।और बाकी सब भौतिक संसाधन बेमोल है। जीवन सादगी और सहजता का नाम है। हमें अपने देश का सहयोग करते हुए। स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर अपने देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए सभी को मिलकर एक संकल्प लेना चाहिए। कि हम स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर देश को समृद्ध बनाएं। और पारिवारिक सामाजिक तालमेल मिलाते हुए। समरसता ,एकता ,सहयोग की भावना के साथ एक साथ कदम बढ़ाकर इस महामारी को अपने देश से भगाने में प्रशासन की बातों को मानकर पूरा-पूरा सहयोग प्रदान करना है। एकता में शक्ति  निहित होती है। शक्ति ही सामर्थ प्रदान करती है। और हमें बल देती है। लॉकडाउन हमें यह अनुभूति करवा रहा है, और जीवन जीना सिखा रहा है।कि जीवन का मूल्य कितना अनमोल है।यह हमें इस कोरोना महामारी के लॉकडाउन के चलते ज्ञात हुआ।

      वन्दना पुणतांबेकर
             इंदौर

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