मानवता का वीभत्स रूप
हे मानव! तेरा धर्म क्या है ?
नैतिकता के पैरोकारों सुन लो
मनुष्य जाति ने जो ये पाप किया
उसका मापदंड क्या है ?
हे मानव! तेरा धर्म क्या है?
मै तो एक निरीह जीव थी
गर्भ में मेरी संतति थी
उस नन्ही सी जान का दोष क्या है ?
हे मानव! तेरा धर्म क्या है ?
गज को तुम पूज्य मानते थे
जीव दया और प्राणी प्रेम से भरे
इस समाज में मेरा किरदार क्या है ?
हे मानव! तेरा धर्म क्या है?
फलों को भी अभिशप्त कर
पटाखों में क्रूरता छुपा
मेरे साथ हंसी ठठ्ठा क्यों किया है ?
हे मानव! तेरा धर्म क्या है?
ममत्व का संहार किया
करुणा को शर्मसार किया
पर जीवन लीलने का तेरा अधिकार क्या है?
हे मानव ! तेरा धर्म क्या है ?
बनते हो जीवत्व प्रिय
मानवता की मिशाल लिय
तेरी साक्षरता का प्रमाण क्या है ?
हे मानव! तेरा धर्म क्या है ?
तुम तो आदतन हो खैर
तुम स्त्रीत्व नहीं बचा सकते
मेरी तो औकात ही क्या है?
हे मानव! तेरा धर्म क्या है ?
अच्छा हुआ नहीं आया वो जग में
धरती पर वीभत्स रूप नहीं देखा तेरा
तुम्हारी नीचता का दण्ड भी क्या है ?
हे मानव! तेरा धर्म क्या है?
कलियुगी दनुज का रूप देखा
खाने की जगह मौत को चखा
खुद से पूछ मेरा कसूर क्या है ?
अंजुल
अंजू अग्रवाल
( शिक्षिका और कवयित्री)
खेरली, अलवर
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