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प्यार बदल रहा है

    प्यार बदल रहा हैं

प्यार करके शादी का चलन
कुछ इस तरह हो  चला है
की अब तो प्यार करना भी
जाति वालों से हो चला है |

प्यार प्यार कहकर शब्दों का
अर्थ ही बदल गया  है अब
प्यास जिस्म का  बाकी रही
प्यार का  व्यापार हो चला है|

हवस के नीच पुजारी  जब
प्यार का चोला ओढ़ चले
नाकाम रहे प्रेम में तो
अक्स पे तेज़ाब हो चला है|

 कलयुग की पीढ़ी का प्यार
अजगर भांति निगलने चला है
प्रेम-भूत हुआ सब पे सवार
अब हर व्यक्ति तबाह हो चला है|

ना रिश्तों की कोई मर्यादा रही
नारी का असल श्रृंगार  नहीं
 जुबान से कड़वे तीखे बोल
मधुर प्रेम विष हो चला है|

प्यार ना मिलने पर मर जाना
प्यार शब्द भी लज्जित हो चला है
हर किसी पे मिट जाए आशिक़ दिल
देखो प्यार अब मतलबी हो चला है|

एक से दिल लगाना ठीक
यहाँ प्यार हज़ारों से हो चला है
सच्चा प्यार मिलता कहाँ है
प्यार बाजारू चीज़   हो चला है |

प्यार की पूजा रही   नही
 उपहास प्यार  हो चला है
प्यार में पवित्रता का नाम नही
प्यार अब बदनाम हो चला है|

कश्मीर पर आधारित कविता यहां से पढ़ें
    लेखिका -   हेमलता कदम
                    रायपुर, छत्तीसगढ़ 

1 comment:

  1. आपकी इस रचना में प्यार के बदलते स्वरूप को दिखाने की बहुत अच्छी कोसिस की गई है |

    उज्जवल भविष्य के लिए सुभकामनाएँ

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