लघुकथा— प्रेरणा
खुद कमा कर पढ़ाई करने वाले एक छात्र की सिफारिश करते हुए कमलेश ने कहा, '' यार योगेश ! तू उस छात्र की मदद कर दें. वह पढ़ने में बहुत होशियार है. डॉक्टर बन कर लोगों की सेवा करना चाहता है.'''' ठीक है मैं उस की मदद कर दूंगा. उस से कहना कि मेरी नई नियुक्त संस्था से शिक्षाऋण का फार्म भर कर ऋण प्राप्त कर लें .'' योगेश ने कहा तो कमलेश बोला, '' मगर, मैं चाहता हूं कि तू उस की निस्वार्थ सेवा करें. उसे सीधे अपने नाम से पैसा दान दें. ''
'' नहीं यार ! मैं ऐसा नहीं करना चाहता हूं ?'' यौगेश ने कहा तो कमलेश बोला, '' इस से तेरा नाम होगा ! लोग तूझे जिंदगीभर याद रखेंगे.''
''हाँ यार. तू बात तो ठीक कहता है. मगर, मैं नहीं चाहता हूं कि उस छात्र की मेहनत कर के पढ़ने की जो प्रेरणा है वह खत्म हो जाए.''
'' मैं उसे जानता हूं, वह बहुत मेहनती है. वह ऐसा नहीं करेगा, '' कमलेश ने कुछ ओर कहना चाहा मगर, यौगेश ने हाथ ऊंचा कर के उसे रोक दिया.
'' भाई कमलेश ! यह उस के हित में है कि वह मेहनत कर के पढाई करें ,'' कह कर यौगेश ने अपनी आंख में आए आंसू को पौंछ लिए ,'' तुम्हें तो पता है कि दूध का जला छाछ भी फूंक—फूंक कर पीता है.''
यह सच्चाई सुन कर कमलेश चुप हो गया.
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30/04/2019
ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
पोस्ट ऑफिस के पास
रतनगढ़-४५८२२६
जिला – नीमच मप्र
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