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यश व्यास की ग़ज़ल.. ( Ghazal) रूठी रहती

रूठी रहती 

जब से तू यूं रूठी रूठी रहती है!
सच है या फिर झूठी रूठी रहती है!!

पहले वाली बातें जब से नहीं होती!
तब से मेरी राते रूठी रहती है!!

खत लिखता हूँ रोज,कबूतर नहीं आते!
चिट्ठी पर बिखरी स्याही रूठी रहती है!!

नींदों में भी बिस्तर अच्छे नहीं लगते!
तकीये के संग चद्दर रूठी रहती है!!

पढ़ना लिखना कुछ भी रास नहीं आता!
धंधे में भी बोहनी रूठी रहती है!!

✍ यश व्यास

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