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जिंदगी jindgi


जिंदगी 

डाली डाली कोयल गाती
डाली फूल खिलाती है 
मिट्टी भी माँ जैसी रिश्ता  
सदा ही साथ निभाती है। 

गाँव गाँव की आती हवाएँ 
शादी ब्याह रचाती है 
गाती है मटकोड़ की गीत 
जिंदगी को बांध जाती है। 

हल्दी चढ़ती है किसी की 
कांच की चुड़ियाँ किसी की 
दुल्हन वह बन जाती है 
सौभाग्य होती है जिस की। 

विद्या शंकर विद्यार्थी 
 रोहतास  (बिहार )

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