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सौरभ हिंदुस्तानी के मुक्तक Muktak


छोटी सी जिंदगी है मंजिले अभी दूर है
जिम्मेदारियां बहुत है सफर अभी दूर है
मार ही डालती मुझे ये दुनिया कबकी
पर मेरे ऊपर मेरी माँ की दुआएं भरपूर है
       
   ( सौरभ हिंदुस्तानी )
         दातागंज

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