कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

प्रेम Prem

 प्रेम 

मुखरित हो गए आज हृदय के राज सभी ,
प्यार यहां जो कैद पड़ा था ,
हुआ मुक्त वह प्यार अभी ,
नन्ही -नन्ही कुछ आशाएं सफल ,
 हो गई यहां अभी ,
तुम आए इस राह अंधेरी ,
बिखर पड़ा है मीहीर अभी ,
विलक्षण प्रतिभा स्नेह की तेरे ,
उजागर हुई है अभी -अभी ,
जान मेरी भी बेजान पड़ी थी ,
मिले जो तुम संजीवन बूटी ,
अमृत बेल चाख-चाख ,
कर हो गई मैं  अमर अभी ,
 सदियों बड़ी निर्जीव मूर्ति में ,
प्राण फूंक दिए अभी -अभी ,
हर एक दिशा विकलांग थी जो ,
 सहज हूई है राह  सभी ,
प्रकाश हुआ है कोहिनूर सा , 
 मुखरित  हो गए छंद सभी ।।

           (चंद साॅसे )
            ✍🏻कमल गर्ग  
      असोला फतेहपुर बेरी  
       नई दिल्ली -74

No comments:

Post a Comment