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विधा- सामाजिक कुरीतियां.... Samajik kuritiyan

दहेज

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खाए हैं इतने धोखे  !
दिल को यकीन नहीं  ?
लाख रुपए लगाकर ,
बेटी को रख पाएंगे सुखी ,
इतने बड़े घर में आकर ,
नहीं होगी वह दुखी ,
केवल इसी बात को ,
रटते हैं घर धनी ,
 बड़े लोगों बड़ी सभाओं में ,
करते हैं घोषणा ,
दहेज है पाप ,
और एक अभिशाप !
दहेज है समाज पर ,
एक रक्तशोषणा ,
पढ़ा है अक्सर अखबार में !
फलां मंत्री के पुत्र का ब्याह ,
और बजट है दस करोड़ !
फलां अमीर आदमी पर ,
केस चल रहा ,
उस पर है यह इल्जाम ,
 बहू को जला दिया ,
खाता है मगर धोका ,
जीवन में ही गरीब ,
 बेटी को उसके ,
डोली होती नहीं नसीब ,
शादी है एक सपना ,
अमीरों की ख्वाबगाह ,
गरीब अपनी बेटी को ,
चिता पर विदा करें ,
 जिंदा जलाने वास्ते ,
 क्यों धन को व्यय करें  !
ऐसा है क्यों समाज  ?
ऐसी है क्यों दशा ?
देखो हर एक गरीब के !
जीवन की दुर्दशा ?

                 (चंद साॅसे )
               ✍🏻कमल गर्ग  
असोला फतेहपुर बेरी ,
 नई दिल्ली- 74

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