विद्यापति की प्रमुख रचनाएं देखिए
महाकवि विद्यापति संस्कृत, अवहट्ठ, मैथिली आदि अनेक भाषाओं के प्रकाण्ड पंडित थे। शास्त्र और लोक दोनों ही संसार में उनका असाधारण अधिकार था। कर्मकाण्ड हो या धर्म, दर्शन हो या न्याय, सौन्दर्यशास्र हो या भक्ति-रचना, विरह-व्यथा हो या अभिसार, राजा का कृतित्व गान हो या सामान्य जनता के लिए गया में पिण्डदान, सभी क्षेत्रों में विद्यापति अपनी कालजयी रचनाओं की बदौलत जाने जाते हैं। महाकवि ओईनवार राजवंश के अनेक राजाओं के शासनकाल में विराजमान रहकर अपने वैदुष्य एवं दूरदर्शिता से उनका मार्गदर्शन करते रहे। जिन राजाओं ने महाकवि को अपने यहाँ सम्मान के साथ रखा उनमें प्रमुख है:
(क) देवसिंह
(ख) कीर्तिसिंह
(ग) शिवसिंह
(घ) पद्मसिंह
(च) नरसिंह
(छ) धीरसिंह
(ज) भैरवसिंह और
(झ) चन्द्रसिंह।
इसके अलावे महाकवि को इसी राजवंश की तीन रानियों का भी सलाहकार रहने का सौभाग्य प्राप्त था। ये रानियाँ है:
(क) लखिमादेवी (देई)
(ख) विश्वासदेवी और
(ग) धीरमतिदेवी।
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