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BBC rediyo samachar seva band hona shrota jagat me bahut gahri nirasha

बीबीसी रेडियो समाचार सेवा बंद होना श्रोता जगत में बहुत गहरी निराशा

BBC rediyo band

रेडियो पर समाचार जगत की बहुत विश्वसनीय बड़ी समाचार सेवा बीबीसी जो सभी के दिलों पर राज करती रही हैं। बीबीसी यानी कि ब्रिटिश ब्राॅडकास्टिंग काॅरपोरेशन की रेडियो को 31 जनवरी 2020 को प्रसारण के अस्सी साल पूरे करने के साथ ही हमेशा के साथ ही अपने रेडियो पर प्रसारित कार्यक्रम को पूर्णतया बंद कर दिया है। जिससे श्रोताओ के दिलों को गहरा धक्का लगा हैं। सभी चाहने वाले श्रोताओं गहरी निराशा आई हुई है। जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक बीबीसी / रेडियो श्रोताओं में हो रही लगातार  में 
कमी के कारण ‘बीबीसी’ ने हिंदी में शॉर्टवेव रेडियो का प्रसारण बंद करने का निर्णय लिया हैं। हालांकि डिजिटल और टीवी के साथ ही एफएम पार्टनर चैनल्स के द्वारा यह दर्शकों और श्रोताओं तक अपनी पहुंच बनाए रखेगा। दरअसल, इन प्लेटफॉर्म्स पर तमाम लोग लगाता बीबीसी से जुड़ रहे हैं, इसलिए इन प्लेटफॉर्म्स में निवेश जारी रखने का फैसला लिया गया है।

बीबीसी सेवा के शीर्ष कमान ने श्रोता जगत के लिए रेडियो पर ‘बीबीसी हिंदी’ के सुबह साढ़े छह बजे प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ‘नमस्कार भारत’ का अंतिम प्रसारण 27 दिसंबर को होगा, वहीं, शाम साढ़े सात बजे प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ‘दिन भर’ का अंतिम प्रसारण 31 जनवरी को होगा ऐसी घोषणा की थी। और 31 जनवरी को अपने सेवा के अस्सी वर्ष का सफल सफर तय किया और इस दिन के बाद हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। शॉर्टवेव प्रसारण बंद होने के बावजूद बीबीसी डिजिटल माध्यमों पर अपने कुछ नियमित कार्यक्रम जैसे-‘विवेचना’ और ‘दुनिया-जहां’ डिजिटल ऑडियो के रूप में प्रसारित करता रहेगा।
गौरतलब है कि ‘बीबीसी वर्ल्ड सर्विस’ का पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत पर काफी फोकस रहा है। इस दौरान भारत में चार नई भारतीय भाषाओं में भी सेवा शुरू की गई है। हालांकि, डिजिटल के बढ़ते प्रभाव के कारण बड़ी संख्या में ‘बीबीसी’ के उन श्रोताओं ने डिजिटल और टीवी की ओर रुख कर लिया, जो शॉर्टवेव रेडियो से जुड़े हुए थे। इसलिए ही बीबीसी ने अब यह निर्णय लिया है।
बीबीसी सेवा पब्लिक ट्रस्ट से था संचालन -
विश्व की सबसे लोकप्रिय निष्पक्ष एवं बेबाक समझी जाने वाली बीबीसी समाचार सेवा का मुख्यालय हालांकि लंदन स्थित बुश हाऊस में है तथा यह सेवा पब्लिक ट्रस्ट से संचालित होती है। परंतु बीबीसी के कर्मचारियों तथा पत्रकारों की तनख्वाह के लिए ब्रिटेन का विदेश मंत्रालय पैसा मुहैया कराता है। लिहाज़ा ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने ही यह फैसला लिया है कि बीबीसी को दिए जाने वाले अनुदान में 16 प्रतिशत की कटौती की जाए। ब्रिटिश विदेश मंत्री विलियम हेग का कहना है कि बीबीसी की भविष्य की प्राथमिकताएं नए बाज़ार होंगे। जिसमें ऑनलाईन प्रसारण, इंटरनेट तथा मोबाईल बाज़ार प्रमुख हैं। ब्रिटिश विदेश मंत्रालय के इस अप्रत्याशित फैसले से जहां बीबीसी के लगभग साढ़े छह सौ कर्मचारी तथा योग्य पत्रकार अपनी सम्मानपूर्ण नौकरियां गंवा बैठेंगे वहीं बीबीसी से आत्मीयता का गहरा रिश्ता रखने वाले समाचार श्रोताओं के हृदय पर यह निर्णय एक कुठाराघात भी साबित हुआ है।

वित्तीय संकट बना बहुत बड़ा कारण - 
ब्रिटिश विदेश मंत्रालय के इस फैसले से पहले एक और प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समाचार सेवा वॉयस ऑफ अमेरिका को भी अमेरिकी प्रशासन द्वारा बंद किया जा चुका है। यह फैसला भी वित्तीय संकटों के चलते वित्तीय खर्चों में कटौती करने की गरज़ से लिया गया था। परंतु भारत जैसे देश में वॉयस आफ अमेरिका का रेडियो प्रसारण बंद होने पर इतनी बवाल नहीं मची थी जितनी कि बीबीसी हिंदी सेवा के रेडियो प्रसारण के बंद होने के फैसले पर दिखाई दे रही है। इसका सीधा एवं स्पष्ट कारण यही है कि बीबीसी विश्व समाचार हिंदी के रेडियो प्रसारण ने अपनी निष्पक्ष, बेबाक, शुद्ध साहित्य से परिपूर्ण तथा त्वरित पत्रकारिता के चलते भारत की करोड़ों अवाम के दिलों में जो सम्मानपूर्ण एवं आत्मीयता से परिपूर्ण जो जगह बनाई थी वह जगह वॉयस आफ अमेरिका तो क्या शायद भारतीय रेडियो की विविध भारती तथा आकाशवाणी सेवा भी नहीं बना सकी थी। बीबीसी ने अपने शानदार समाचार विश्लेषण, साहित्यिक सूझबूझ रखने वाले पत्रकारों तथा शुद्ध एवं शानदार उच्चारण के चलते स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक भारतीय श्रोताओं के दिलों पर राज किया। यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि बीबीसी सुनकर ही हमारे देश में न जाने कितने युवक आईएएस अधिकारी बने,कितने लोग नेता बने तथा तमाम लोग छात्र नेता, लेखक, पत्रकार व अन्य अधिकारी बन सके। बीबीसी परीक्षार्थियों तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले युवकों को भी अत्यंत लोकप्रिय था। बीबीसी रेडियो की हिंदी सेवा ने गरीबों, रिक्शा व रेहड़ी वालों,चाय बेचने वालों, दुकानदारों से लेकर पंचायतों व चौपालों आदि तक पर लगभग 6 दशकों तक राज किया था।

हर भारतीय के दिल में बचती है बीबीसी लंदन :- 
भारत में अब भी बीबीसी के लाखों श्रोता ऐसे हैं जिनका नाश्ता बीबीसी पहली सेवा से ही होता है तथा रात में अंतिम सेवा सुनकर ही उन्हें नींद आती है। यह कहने में भी कोई हर्ज नहीं कि भारत में बीबीसी हिंदी सेवा सुनने के लिए ही समाचार प्रेमी श्रोतागण रेडियो व ट्रांजिस्टर खरीदा करते थे। तमाम भारतीय समाचार पत्र-पत्रिकाएं तथा टीवी चैनल बीबीसी के माध्यम से खबरें लेकर प्रकाशित व प्रसारित केवल इसलिए किया करते थे क्योंकि बीबीसी की खबरों की विश्वसनीयता की पूरी गांरटी हुआ करती थी। परंतु अब सभवत:यह गुज़रे ज़माने की बातें बनकर इतिहास के पन्नों में समा जाएगी।

बीबीसी के बंद से श्रोताओं निराशा :- 
भारत एक बड़ा देश होने के नाते बीबीसी हिंदी सेवा के श्रोतागणों की नाराज़गी भारतवर्ष में काफी मुखरित होती दिखाई दे रही है। परंतु वास्तव में जिन-जिन देशों कीअपनी भाषाओं के बीबीसी प्रसारण बंद हो रहे हैं उन देशों में भी बीबीसी ने अपनी पत्रकारिता की निष्पक्ष तथा बेलाग-लपेट के अपनी बात कहने की अनूठी शैली के चलते श्रोताओं के दिलों में ऐसी ही जगह बनाई थी। परंतु बड़े ही दु:ख एवं आश्चर्य का विषय है कि ब्रिटिश विदेश मंत्रालय तथा बीबीसी प्रबंधन ने दुनिया के करोड़ों श्रोताओं की परवाह किए बिना इस प्रकार का कठोर निर्णय ले डाला।

बहुत ही विश्वसनीय समाचार सेवा थी बीबीसी :- 
अपनी शानदार पत्रकारिता एवं बेहतरीन प्रसारण के बल पर बीबीसी ने विश्व स्तर पर जो प्रतिष्ठा श्रोताओं के मध्य अर्जित की थी वह अब तक दुनिया की किसी और समाचार सेवा ने नहीं हासिल की। बीबीसी को बंद करके बीबीसी प्रेमियों की सारी उम्मीदों पर ब्रिटिश विदेश मंत्रालय एवं बीबीसी प्रबंधन ने पानी फेर दिया। बीबीसी के भारतीय श्रोतागण इस सेवा को पूर्ववत् जारी रखने के लिए बीबीसी को शुल्क देने,अपनी मासिक आय देने तथा अन्य तरीकों से उसकी आर्थिक मदद करने तक को तैयार हैं। यदि बीबीसी ब्रिटिश मंत्रालय द्वारा सोलह प्रतिशत की खर्च कटौती की पूर्ति के लिए बाज़ार से विज्ञापन लेना शुरु कर दे तो भी उसके खर्च पूरी हो सकते हैं। इस प्रतिष्ठित समाचार सेवा को बंद करने के बजाए इसे और अधिक मज़बूत व मुखरित तथा प्रतिष्ठापूर्ण बनाने के लिए बीबीसी प्रबंधन को तथा ब्रिटिश सरकार को और अधिक प्रयास करने चाहिए थे। ब्रिटिश सरकार को स्वयं इस बात पर गौर करना चाहिए था कि वॉयस ऑफ अमेरिका रूस, चीनी तथा जर्मनी रेडियो की समाचार सेवाओं को कहीं पीछे छोड़ते हुए बीबीसी ने अपनी लोकप्रियता का जो झंडा बुलंद किया था उसे बरकरार रखा जाए। परंतु आर्थिक संकट के नाम पर इतना बड़ा फैसला ले लेना तथा दुनिया के करोड़ों श्रोताओं की अनदेखी करना इस बात का सा$फ प्रमाण है कि ब्रिटिश सरकार सही फैसले ले पाने में निश्चित रूप से असमर्थ है। यह कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया में ब्रिटेन का आज भी जो थोड़ा-बहुत स मान आम लोगों के दिलों में था उसका एक सबसे बड़ा कारण बीबीसी लंदन जैसी विश्वसनीय समाचार सेवा ही थी।

बीबीसी सदा याद रहेगी :-

बीबीसी के मशहूर समाचार वाचक, प्रस्तुतकर्ता, एंकर, संवाददाता की आवाज हमेशा गुंजाइमान रहेगी दिल से । सर्वश्री आले हसन, पुरुषोत्तमलाल पाहवा, रामपाल, मार्क टुली, ओंकार नाथ श्रीवास्तव से लेकर संजीव श्रीवास्तव, सलमा ज़ैदी, राजेश जोशी, महबूब खान, अविनाश दत्त तथा राजस्थान से संवाददाता नारायण बारिठ आदि ने आज तक बीबीसी के सभी योग्य एवं होनहार पत्रकारों ने निश्चित रूप से भारतीय श्रोताओं के दिलों पर दशकों तक राज किया है। भारतीय श्रोता बीबीसी के आजतक, विश्वभारती, आजकल तथा हम से पूछिए जैसे उन कार्यक्रमों को कभी नहीं भुला सकेंगे जो भारतीय चौपालों, पंचायतों, भारतीय सीमाओं तथा चायख़ानों तक में बड़ी गंभीरता से सुने जाते थे।
बीबीसी के 80 साल के पूरे किये 31 जनवरी को आखिरी रेडियो कार्यक्रम 'दिन भर' शाम साढ़े सात से आठ के बीच श्री राजेश जोशी की ने अपनी सुरीली आवाज में पेश किया । कार्यक्रम में बीबीसी के सुहाने सफर का बहुत सुंदर वर्णन विशेष रिपोर्ट के माध्यम से किया। रेडियो बीबीसी लंदन तुम आजीवन बहुत याद आते रहोगे। आपको भावभीनी विदाई मेरी ओर से और सभी रेडियो श्रोता साथियों की ओर से ।
सादर विदाई अलविदा.... बीबीसी रेडियो ।
जय हिंद । जय भारत ।।


✍🏻 सूबेदार रावत गर्ग उण्डू  'राज'

प्रदेशाध्यक्ष - अखिल भारतीय श्री गर्ग रेडियो श्रोता संघ राजस्थान 
( सहायक उपानिरीक्षक - रक्षा सेवाऐं भारतीय सेना 
और स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी, वरिष्ठ श्रोता आकाशवाणी रेडियो )

ग्राम - श्री गर्गवास राजबेरा, 
तहसील उपखंड - शिव, 
जिला मुख्यालय - बाड़मेर, 
राजस्थान 344701

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