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कोरोना - यह जंग हमसे बड़ी नहीं (आलेख)

यह शीर्षक पढ़कर आप यही सोच रहे होंगे कि क्या मैं कोई प्रेरणार्थक चीज़ बोलूँगी? जी नहीं , ऐसा बिल्कुल नहीं हैं।ना ही मैं आपको जागरुक होने को कहूँगी जो आज सब कह रहे हैं। मैं तो बस आपको सच से परिचित कराने का प्रयास करूँगी। रोज़ जब आप समाचार पत्र , रेडियो , टीवीं पर अपनी नज़र डालते हैं , बस आपको सिर्फ कोरोना का काला आतंक दिखता हैं । दिल दहलाने वाली मृत्यु का आभास होता हैं। पिछले तीन-चार हफ़्तों से अपने देश सहित पूरी दुनिया में कोरोना वाईरस बड़ी तेज़ी से फैलता जा रहा हैं । कोरोना वाईरस एक युद्ध के बराबर हैं ।आज दुनिया में एक जंग-सी छिड़ गई हैं।कोरोना वाईरस से बचने के लिए सब उपचार बता रहे हैं ।हर दिन नये-नये विडियों , मैसेज तथा शोध से जागरुकता फैलाई जा रही हैं ।फिर भी क्या सच में हम जागरुक हैं ?हाल ही में आए शोधों के अनुसार बहुत से लोग टेस्ट को साधारण मान रहे हैं ; जो कि गलत हैं।टेस्ट कराना ज़रूरी हैं बल्कि यह तो हम सबकी ज़िम्मेदारी हैं।अच्छा चलो मैंने मान लिया आप यंग हैं , आपकी इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक शक्ति) अच्छी हैं ; आपके शरीर पर ज़्यादा असर नहीं होगा।मगर रुकिये , ज़रा सोचिएँ अगर आप कभी इससे इन्फेक्ट(संक्रमित) हुए तो ? फिर क्या ? इस दौरान कभी यह ट्रांस्मिट (संचारित) होकर किसी बुजुर्ग  व्यक्ति में फैल जाएँ तो ?इसलिए टेस्ट कराना हमारी ज़िम्मेदारी हैं।
मैं जानती हूँ ,  एयरपोर्ट (हवाई अड्डा) पर लंबी कतार के चलते लोग बेचैन हो रहे हैं ;अपना  संयम खो रहे हैं। चेकिंग और टेस्ट में पता नहीं चलता होगा कब सुबह से शाम हो जाती हैं? सटीक सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। लोग विरोध पर उतर आए हैं , समाचार पत्रों में इसका उल्लेख कर रहे हैं।
सिस्टम(प्रणाली) को दोष दे रहे हैं। यह मेरा उन लोगों को संदेश हैं , याद रखिए कोई सिस्टम परफेक्ट नहीं होता।हर सिस्टम की अपनी कमी भी होती हैं।क्या आप भी औरों की तरह बस कमियां ही ढूँढ़ते रहेंगे या फिर इन कमियों को खूबियों में बदलने का प्रयास करेंगे? यह किसी की ज़िंदगी का सवाल हैं। अब आप कहेंगे कि हाँ मैं इस बात से सहमत हूँ पर मेरे एक के करने से क्या बदल जाएगा। ध्यान रखिए सागर का निर्माण एक-एक बूंद से ही होता हैं। कोरोना वाइरस की इस जंग में आपके हथियार मास्क , सेनेटाइजर , साफ-सफाई तथा टेस्ट हैं। घबराईये बिल्कुल नहीं , इसे एक चुनौती की तरह लेकर चलिए।सकारात्मक सोच रखिए , क्योंकि आपकी सोच ही आपकी परिस्थितियों की निर्धारक हैं।
रख बुलंद हौसले मेरे जहाँ ,
ठान ले यह कोरोना जंग तुझसे न बड़ी आज यहाँ।
उठा के जागरुकता का हथियार हो जा तू तैयार ,
डर , निराशा को मार गोली मेरे यार।
पूरा पढ़ने के लिए आपका तहे दिल से धन्यवाद। इस मैसेज को आगे शेयर करे ताकि यह संदेश लोगों तक पहुँच पाये और वो इस बात को समझ पाये ।
एक छोटी सी कोशिश

- आपकी शुभ चिंतक
टिशा मेहता , इंदौर (मध्यप्रदेश)

            परिचय:

"टिशा मेहता" भारत के इन्दौर (मध्य प्रदेश) से हैं। वह एक जानी-मानी यंग लेखिका हैं , जो अभी सोलाह वर्ष की हैं।उन्होंनें सहित्य में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई हैं।उन्होंनें राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेख लिखे हैं तथा उनके लेख कई किताबों तथा पत्रिका में 
प्रकाशित हुए हैं जिन्हें पाठकों ने बहुत पसंद किया हैं , इसके अतिरिक्त वे रिकॉर्ड होल्डर भी हैं। इस महिला दिवस पर उन्हें दो हजार बीस (2020)की यंगेस्ट इन्फ्लुएंसर महिला का सम्मान प्राप्त हुआ।आशा करते हैं आपको उनका यह आर्टिकल 'कोरोना - यह जंग हमसे बड़ी नहीं ' अच्छा लगा होगा। 
धन्यवाद ।

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