कोरोना नही, ये हमारी अग्निपरीक्षा है
सारे जगत में सन्नाटा पसरा हुआ है । यदि कोई कौलाहल या क्रन्दन सुनाई देता है तो वो सिर्फ कोरोना का । सुबह से लेकर शाम तक ,पूर्व से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से लेकर दक्षिण तक फ़िलहाल लोगों की जुबान पर एक शब्द ही है, वह है कोरोना । सुबह उठकर ज्यों ही अख़बार पढ़ते है तो हर जगह बस कोरोना, अख़बार बन्द करके टीवी चालू किया तो कोरोना , टीवी छोड़ रेडियो सुना तो कोरोना और मोबाईल की तो खैर बात ही छोड़ो , बस हर जगह कोरोना, कोरोना, कोरोना । कोरोना उतना घातक नही है, जितनी दहशत में हम जी रहे हैं । अभी तक कोरोना की प्रकृति के जो प्रमाण मिले है वो इतने है कि किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से ये रोग फैलता हैं । लेकिन हम तो घर में बैठे लॉकडाउन का पालन कर रहे है तो फिर ये डर कैसा ? सरकारी एडवाइजरी का सार यह है कि जब तक आप कोरोना को लेने जाओगे नही तब तक वो आपके दरवाजे तक दस्तक नही देगा । बशर्त यह है कि आप स्वयं लॉकडाउन का उल्लंघन करके 'आ बैल मुझे मार वाली' घटना न करोगे तब तक कोरोना का आपके पास आना मुश्किल ही नही नामुमकिन भी है ।
इस कोरोना की अग्निपरीक्षा में भारत सफल हुआ हैं । कोरोना की आहट पूरे विश्व समुदाय में सबसे पहले चीन के वुहान शहर से दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में सुनाई दी । जिसकी चिंगारी ने लगभग पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया । क्योंकि ये महामारी फैलने के बाद भी वुहान से अन्तर्राष्ट्रीय उड़ाने चलती रही । हालाँकि भारत सरकार ने इस वैश्विक महामारी के खतरे को भांपते हुए व्यापक स्तर पर इसके बचाव हेतु प्रयास शुरू कर दिये थे । जिसमें विदेश से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग की गई । उनको क्वारेंटाइन एवं होम आइसोलेटेड किया गया । हालाँकि ये कुछ अंग्रेजी शब्द हमारी दैनिक बोलचाल का हिस्सा नही थे । लेकिन इस महामारी ने सबकी परिभाषा को इतना गढ़ा कि अब ये शब्द क्या अनपढ़ क्या पढ़ा-लिखा, क्या बच्चा-क्या बूढ़ा हर किसी के जुबान पर आसानी से सुना जा सकता हैं । बचाव उपायों के बीच केरल से आई एक खबर ने देशवासियों को सन्न कर दिया । दरअसल केरल में 30 जनवरी को पहला कोरोना पॉजिटिव का केस आया था । उसके बाद से पॉजिटिव मामलो में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई । कुछ राज्यों ने स्वयं पहल करते हुए लॉकडाउन की घोषणा कर दी ,जिसमे राजस्थान का नाम अग्रगण्य है क्योंकि राजस्थान में सबसे पहले लॉकडाउन लागू किया था । उसके बाद पीएम की अपील पर 22 मार्च को जनता ने थाली एवं ताली बजाकर संपूर्ण भारत में इस कोरोना की जंग में अपना समर्थन दिया था । उसके बाद व्यापक स्तर पर भूरे भारत में लॉकडाउन लगाया जो बदस्तूर जारी है । अंदेशा है कि ये 3 मई तक चलेगा लेकिन ये सब कुछ अपने पर निर्भर करता है कि हम किस स्तर तक लॉकडाउन का पालन करते हैं । हालाँकि दैनिक रूप से जारी होने वाले आंकड़ो से ज्ञात होता है कि वर्तमान में संक्रमितों की संख्या घट रही है । ये सब हमारे धैर्य का ही परिणाम है । इस धैर्य ने हमे बहुत कुछ परिस्थितियों से लड़ना सिखाया है । शिक्षा के क्षेत्र की बात करे तो डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा मिला है, प्रशासनिक क्षेत्र की बात करे तो वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा मिला है , घरों में वस्तु - विनिमय का दौर शुरू हुआ है । लोग संकट की घड़ी में एक दूसरे की मदद कर रहे है । सरकार के साथ साथ भामाशाह, विविध गैर सरकारी संगठन, स्वयंसेवी संस्थाएं और राजनैतिक दल इत्यादि अपने अपने स्तर पर मानवता का फर्ज़ निभाकर अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं । प्रधानमंत्री का देश के नाम संबोधन से जनता के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी हुई है वहीं कोरोना के कर्मवीरों का जिस प्रकार से उन्होंने हौंसला बढ़ाया है उससे आम जनता में कोरोना कर्मवीरों के प्रति सम्मान में कईं गुणा बढ़ोतरी हुई हैं । निःसन्देह हम सभी को मिलकर सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए न केवल लॉकडाउन का पालन करना है बल्कि इसको अपनी जीवनशैली का हिस्सा भी बनाना है । हमारी अग्निपरीक्षा तब तक है जब तक कि इसका अपने देश से समूल विनाश न हो तथा इसकी कोई कारगर दवा विकसित नही हो जाए । तभी सच्चे अर्थों में हमारी अग्निपरीक्षा सफल होगी ।
लेखक
कैलाश गर्ग रातड़ी
पेशे से शिक्षक है
जिला बाड़मेर राजस्थान
आलेख अच्छा लगा
ReplyDeleteVEry nice article
ReplyDeleteThanks moolji
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