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यादगार हनीमून" yaadgaar hanimoon

यादगार हनीमून"


शहरों की चकाचौंध से दूर एक छोटे से गाँव में दो दोस्त रहते थे । जिनका नाम किशन और हनुमान था । बचपन के लंगौटिये यार थे , साथ खेलते थे, साथ पढ़ते थे । पढाई में दोनों ही होशियार थे । पर किशन की दो आदत ऐसी थी जिसके कारण लगभग हमेशा उसे डाँट खानी पड़ती थी , जिसमे एक भूलने की आदत तथा दूसरी कोई भी बात देरी से समझ में आने वाली थी । घरवाले खेत से चारा लाने को कहते या दुकान से कोई चीज मंगाते , तो वो बीच में ही कोई दोस्त मिलता तो उससे बातें करने लग जाता । इस भुलक्कड़ आदत के कारण डाँट खा - खाकर ऐसी आदत पड़ गई कि अब उसे डांटने पर भी कोई असर नही पड़ता । 
प्रारम्भिक स्तर की शिक्षा पूर्ण करने के बाद उच्च अध्ययन हेतु किशन एवं हनुमान को शहर जाना पड़ा । शहर में जाकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की । कुछ महीने बाद दोनों का शिक्षक प्रशिक्षण में चयन हो गया । शिक्षक प्रशिक्षण के दौरान नये दोस्तों से परिचय हुआ । अध्ययन - अध्यापन का सिलसिला शुरू हुआ । एक दिन व्याख्याता महोदय शिक्षा मनोविज्ञान पढ़ा रहे थे, उसमे कुछ प्रसंग ऐसा आया कि पूरी कक्षा खिल-खिलाकर हँस पड़ी । लेकिन किशन शांत एवं गंभीर मुद्रा में बैठा रहा, उस पर उनकी बात का कोई प्रभाव नही पड़ा ऐसा लग रहा था । व्याख्याता महोदय ने आगे पढ़ाना शुरू किया कि किशन की हँसी फूट पड़ी , क्योंकि उसे वो बात अब समझ आई थी ।  पढ़ाने के दौरान इस तरह बीच में हँसने के कारण एक दिन व्याख्याता ने किशन को सजा के तौर पर कक्षा से बाहर निकाल दिया ।  उस दौरान उसके लंगौटिये यार ने सर से निवेदन करके उसकी देरी से समझ आने की पूरी बात बताई, तब किशन को अंदर आने दिया ।  कक्षा में इस आदत के कारण हर कोई साथी उसका मजाक बनाते थे । 
  शिक्षक प्रशिक्षण के दौरान पुलिस की विज्ञप्ति निकली । हनुमान ने भर्ती में आवेदन किया । कुछ समय बाद परिणाम आया और हनुमान का चयन हो गया । हनुमान शिक्षक बनने का सपना लेकर आया था लेकिन घर में सबसे बड़ा होने के कारण एवं आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उसे तत्काल नौकरी की आवश्यकता थी । इस कारण उसने माउन्ट आबू ( सिरोही ) में नौकरी ज्वॉइन कर ली ।  उधर प्रशिक्षण पूरा होने के बाद शिक्षक भर्ती में किशन का चयन हो गया । शिक्षक बनने के बाद किशन का रिश्ता शहर की एक सुशिक्षित कन्या वर्षा से तय हुआ । वर्षा के शिक्षा स्नातक के साथ साथ अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर भी किया हुआ था । कुछ महीनों बाद शादी हुई । शादी के बाद दुल्हन वर्षा ने किशन से हनीमून पर लेकर चलने की जिद्द की । किशन ग्रामीण परिवेश का होने के कारण आनाकानी कर रहा था । वहीं वर्षा अपनी सहेलियों के उदाहरण दे देकर उसे ताने देती थी ,और कहती थी कि मैंने सुन रखा था कि मास्टर कंजूस होते है ,लेकिन यह नही सोचा था कि उसे जिंदगी भर झेलना भी पड़ेगा । रोज रोज के तानों से तंग आकर और  ऊपर से कंजूस वाली बात तो इतनी नागवार गुजरी की उसने अपने दोस्त हनुमान को यह बात बताई ,तब हनुमान ने कहा कि इस मामूली बात से इतना घबरा क्यों रहा हैं ? मैं भी अपनी बीवी को घूमाने शिमला ले गया था । मेरी ड्यूटी अभी माउन्ट आबू है और माउन्ट आबू हिल स्टेशन है । यहाँ लाखों पर्यटक आते है । इसलिये यहाँ आ जाना ,मैं छुट्टी लेकर तुझे पूरी सैर कराऊंगा । किशन ने घर जाकर वर्षा से हनीमून पर चलने को लेकर रजामंदी दी । गर्मियों की छुट्टियों में वहाँ जाना तय हुआ । इसी बीच प्रशासनिक कारणों से हनुमान का स्थानांतरण सिरोही से जयपुर हो गया । किशन शुरू से ही अपने पास मोबाईल नही रखता था ,पर शादी में अपनी दुल्हन को उपहार में अच्छा मोबाईल यादगार के रूप में दिया । उसी मोबाईल पर किशन भी कभी कभार अपने दोस्तों से बात कर लिया करता था । धीरे-धीरे दिन बीतते गए, गर्मियों की छुट्टियां हुई तो दोनों चल पड़े हनीमून मनाने । किशन को हनुमान के स्थानांतरण की जानकारी नही थी । न ही किशन ने हनुमान को फोन किया कि हम माउन्ट आबू आ रहे हैं । बस से यात्रा करके माउन्ट आबू पहुँचे । यहाँ आकर हनुमान को फोन किया तो ज्ञात हुआ कि उसका तो ट्रांसफर हो गया । बाद में थकान के कारण होटल में ठहरें । सुबह दर्शनीय स्थलों को देखने पैदल ही चल पड़े । गुरुशिखर काफी ऊंचाई पर होने के कारण चलते - चलते थक गए । वर्षा शहरी परिवेश की होने के कारण ज्यादा पैदल चल नही पा रही थी । उसे चक्कर आने लगे । तब दोनों रास्ते में एक होटल पर रुके । वर्षा को उल्टियां होने लगी तो किशन उसके लिए दवाई लाने के लिये गया । निकट में दवाओं की कोई दुकान न होने के कारण उसे काफी दूर जाना पड़ा । तभी उसकी भेंट अपने शिक्षक प्रशिक्षण के दौरान साथी रहे श्याम से हुई । श्याम भी हनीमून मनाने आया हुआ था । श्याम से पुरानी बातों में इतना मशगूल हुआ कि वो दवाई ले जाना भूल ही गया । फिर श्याम और उसकी पत्नी संतोष ने किशन को अपने साथ होटल चलने को कहा । श्याम के साथ गाड़ी में बैठकर किशन भी उनकी होटल चला गया । चाय- पानी पीने के बाद जब दोनों की गृहस्थी के बारे में बात चली तो याद आया कि मेरे साथ मेरी पत्नी भी थी, और उसको चक्कर आ रहे थे,मैं दवाई लेने आया था । श्याम को माजरा समझ में आ गया कि वास्तव में किशन तो है ही भुलक्कड़ । वो तुरन्त वहाँ से गाड़ी लेकर उस होटल पर गए जहाँ किशन ने वर्षा को बिठाया था । वहीं वर्षा को भी चिंता हो रही थी कि किशन अभी तक क्यों नही आया , ये सोचकर वो किशन के पीछे चली गई जिस रास्ते से किशन गया था ।  इतनी देर में किशन और श्याम भी गाड़ी लेकर होटल आ पहुँचे ।  वहाँ देखा तो पता चला कि वर्षा यहाँ है ही नही । उससे सम्पर्क करे तो भी कैसे ? मोबाईल डिस्चार्ज होने के कारण होटल में ही छोड़ आए थे, और किशन के पास भी कोई मोबाईल नही था । तभी इधर-उधर पूछते -पूछते वर्षा नजर आ गई । फिर होना क्या था !! हमेशा की तरह आज भी डाँट रूपी खुराक लेनी पड़ी । फिर श्याम ने अपनी गाड़ी में बिठाकर सभी पर्यटक स्थलों के दर्शन कराए । दर्शन के बाद होटल पहुंचकर होटल के बिल का भुगतान किया । किशन के पास नगदी कम होने के कारण एटीएम से स्वाइप करके भुगतान किया । किशन स्वाइप करके एटीएम काउंटर पर ही भूल गया । और दोनों रेलवे स्टेशन की तरफ चल पड़े । रेलवे स्टेशन पर टिकट लेने के लिये कतार में लगे । टिकट खिड़की पर भीड़ थी । एक पुरुष एवं एक महिला की लाइन लगी हुई थी । धक्का-मुक्की के बीच किशन ने महिला वाला टिकट ले लिया जिसको विपरीत दिशा की और यात्रा करनी थी । इतने में रेल का हॉर्न बज गया । दोनों दौड़ते हुए रेल में बैठे । रेल कुछ दूरी चली ही थी की टिकट चैक करने वाला आ गया । टीटीई ने टिकट चैक की तो पता चला कि ये इस रूट का टिकट ही नही है, और जुर्माने के रूप में अहमदाबाद से लेकर जयपुर तक के टिकट की भारी भरकम राशि चुकाने की रसीद थमा दी । काफी अनुरोध के बाद भी टीटीई ने बात नही मानी, तब किशन ने पर्स संभाला । पर्स में देखा तो नगदी पर्याप्त नही थी । एटीएम से स्वाइप करने की सोची तो याद आया कि एटीएम तो मैं होटल पर ही भूल आया । फिर उसके पर्स में जो रूपये थे वो तथा रेल में सह यात्रा कर रहे यात्रियों से राशि लेकर जुर्माना भरा । वर्षा का फोन लेकर हनुमान को फोन किया और रेलवे स्टेशन पर आने को कहा । फिर जयपुर पहुँचे तो हनुमान स्वागत के लिये तैयार खड़ा था । किशन ने अपने साथ घटी घटनाओं को साझा किया । तब हनुमान ने किशन को न केवल नगदी दी बल्कि उसे पूरे जयपुर के पर्यटन स्थलों का दर्शन भी कराया । इन घटनाओं के कारण किशन और वर्षा का हनीमून यादगार हो गया । दूसरे दिन वो जयपुर से अपने घर की और लौट चले ।
नोट:- इस घटना में दर्शाए गए सभी पात्र काल्पनिक है एवं वास्तविकता से इसका कोई सम्बन्ध नही हैं ।

रचनाकार

कैलाश गर्ग रातड़ी
उपखण्ड शिव जिला बाड़मेर (राजस्थान )

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