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लॉकडाउन की मॉकड्रिल हर 5 वर्ष में एक बार करने पर चिंतन करे सरकार. Lockdown pratyek varsh me hona chahiye

लॉकडाउन की मॉकड्रिल हर 5 वर्ष में एक बार  करने पर चिंतन करे सरकार


लॉकडाउन के रिहर्सल पर अपने विचार अभिव्यक्त करने से पहले मैं एक कहानी का संदर्भ देना चाहूंगा, जो हमारे मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी द्वारकाप्रसाद शर्मा अक्सर प्रशिक्षण के कार्यक्रमों में शिक्षकों को सुनाते हैं । कहानी इस प्रकार है कि एक गाँव में अधिकतर किसान परिवार रहते थे,जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि कार्य करके अपना जीवन- निर्वाह करना था । उस गाँव में एक दिन आकाशवाणी होती हैं कि इस गाँव में आगामी दस वर्ष तक बारिश नही होगी ।  आकाशवाणी को सुनकर गाँव के दस प्रतिशत लोग पहले साल ही उस गाँव को छोड़कर दूसरी जगह चले जाते हैं । अगले वर्ष फिर 10% लोग गाँव छोड़ देते हैं । ये सिलसिला चलता रहता है । इसी बीच एक किसान ऐसा था जो लगातार छठे वर्ष भी अपने खेत में हल जोत रहा था । उसके इस कार्य को देखकर गाँव के शेष लोग मजाक बनाते थे । लेकिन बूढ़े किसान को भरोसा था कि कभी न कभी वर्षा अवश्य आएगी । फिर भी हर बार निराशा ही हाथ लगती । तभी इन्द्र भगवान ने साधारण मनुष्य का वेश धारण करके उस गरीब किसान की परीक्षा लेने हेतु स्वयं गए और उससे पूछा कि गाँव के बाकी वाले लोग कहाँ गए है ? तब किसान ने कहा कि कुछ वर्ष पहले हमारे गाँव में आकाशवाणी हुई थी कि इस गाँव में दस वर्ष तक बारिश नही होगी और घोर अकाल पड़ेगा । तब इन्द्र ने कहा कि फिर आप हल क्यों जोत रहे हो ? इन्द्र के प्रश्न का उत्तर देते हुए किसान ने कहा कि यदि मैं हल नही जोतूंगा तो खेती करना भूल जाऊंगा । मुझे मेरा कर्म हमेशा करते रहना चाहिए । गीता में भी कहा गया है कि 'कर्म करते रहो, फल की ईच्छा मत करो ।' ये बात सुनकर इंद्र भगवान स्वयं चिंतन में पड़ गए कि मुझे भी बारिश कराए छः वर्ष हो गए, कहीं मैं भी वर्षा कराना भूला तो नही हूँ । इसी को लेकर वो तुरन्त वापिस अपने स्थान की तरफ चले गए । फिर इंद्र ने अपनी दैवीय शक्ति के फलस्वरूप जमकर वर्षा कराई । उस किसान को छोड़कर किसी भी किसान ने खेत नही जोता था । उस किसान के खेत में बम्पर पैदावार होती है और मालामाल हो जाता हैं । इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमे भी अपना कार्य सतत रूप से करते रहना चाहिए ।
  
 इस कहानी को आपके साथ साझा करने का मेरा उद्देश्य यह था कि कोरोना से जूझ रहे समूचे विश्व को अभी तक कोई कारगर दवा हाथ नही लगी हैं । तब तक पूरे विश्व की रफ़्तार पर लॉकडाउन रूपी ब्रेक लग गया हैं । लॉकडाउन जब पहली बार लगा था तो लोगों ने ख़ुशी ख़ुशी इसको स्वीकार किया था । लेकिन ज्यों ही लॉकडाउन की अवधि ख़त्म होने को आती ,परिस्थितिवश सरकारों को इसकी अवधि बढ़ानी पड़ती है । अब तो आलम यह हो गया हैं कि इसे एक बार फिर करीब 2 हफ़्तों के लिये संपूर्ण भारत में आगे बढ़ा दिया हैं । अब बार बार लॉकडाउन बढ़ने से लोग थोड़ा असहज भी महसूस कर रहे है, वहीं बहुसंख्यक  इससे खुश भी नजर आ रहे है । लोगों के दिलों-दिमाग पर कोरोना का खौफ साफ नजर आ रहा हैं । सरकार ने भी लोगों के जीवन को पहली प्राथमिकता देते हुए ,बिना किसी जीडीपी की चिंता किये हुए बेमिसाल कार्य कर रही हैं । सभी राज्य सरकारें भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर केंद्र सरकार के साथ मिलकर कार्य कर रही है । लेकिन बार बार बढ़ते लॉकडाउन ने हमें यह शिक्षा प्रदान की है कि इसे अब हमारी जीवनशैली का अभिन्न अंग बनाना होगा । जिस प्रकार ओलम्पिक खेल हर 4 वर्ष में आयोजित किये जाते है, उसी प्रकार ये लॉकडाउन का भी हर 5 वर्ष में एक बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रायोगिक तौर पर परीक्षण किया जाए ।  भले ही इसकी अवधि दो दिन हो जिसमें 1 दिन का स्वैच्छिक जनता कर्फ्यू की तरह तथा दूसरा अनिवार्य प्रशासनिक सख्ती के साथ । इस तरह का प्रयोग होगा तो हमारी सरकारों, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, रक्षा यथा पुलिस  , आम जनता इत्यादि का एक तरह से मॉक ड्रिल होगा । अक्सर हमने पुलिस, रेलवे, सुरक्षाबलों एवं आपदा प्रबंधन आदि विभागों के द्वारा मॉक ड्रिल करने की खबरें सामने आती रहती है । ठीक इसी प्रकार से केंद्र सरकार को भी ये लॉकडाउन के मॉकड्रिल का हर 5 वर्ष में एक बार कम से कम एक दिन के प्रायोगिक तौर पर परीक्षण करने पर विचार चाहिए ।  इस लॉकडाउन के कई फायदे भी नजर आएंगे । भविष्य में यदि ऐसी कोई आफत आए तो हम लॉकडाउन के लिये पूर्णतः तैयार रहेंगे । तथा प्रकृति को भी लॉकडाउन से संजीवनी मिलेगी । हालिया विविध रिपोर्टों से प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर कहा जा सकता हैं कि जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण इत्यादि में आश्चर्यजनक रूप से कमी आई है । इसके साथ ही हमारी कई खामियों को भी उजागर किया है , प्रवासियों को अपने घर तक भेजने की व्यवस्था की बात हो या मजदूरों की रोजी रोटी या किसी भी प्रकार की मदद का सवाल हो, हमे इस क्षेत्र में और ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता है । अन्नदाता की फसल खेतों में पड़ी है । औद्योगिक कल कारखाने बन्द पड़े है । विद्यालय, सिनेमा, मॉल ,कुछ कार्यालय बन्द पड़े है । हमे अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने के लिये ,उज्ज्वल भारत के भविष्य निर्माण हेतु वक्त की जरूरत के हिसाब से हर स्तर पर सजग रहना होगा । 

लेखक
कैलाश गर्ग रातड़ी
लेखक पेशे से शिक्षक एवं कोरोना की जंग में कर्मवीर की भूमिका में है । 
जिला बाड़मेर राजस्थान

10 comments:

  1. धन्यवाद संपादक महोदय जी 💐💐

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  2. वाह!नायाब और अविस्मरणीय,अकल्पनीय विचार है । इससे हर व्यक्ति और प्रत्येक देश को भविष्य में होने वाली समस्याओं से निजात पा सकते हैं। Lot of Thanks 4 अमेंजिग Thought & आलेख ।

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  3. बहुत अच्छा कार्य कर रहे हो जी आपके लेखन कार्य का मेने अध्यन किया मुझे अच्छा लगा

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  4. आपका विचार और आलेख दोनों सराहनीय हैं।
    अभिनन्दन

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  5. वाह जी शानदार लेखन, दिमाग की भी बड़ी विलक्षण है।। बहुत सुंदर लेखन।

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  6. लेखनी को साधुवाद

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