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अब उठो लड़ो तुम सवाल करो

अब उठो लड़ो तुम सवाल करो*

अपने हक की तुम मांग करो।
अब उठो लड़ो तुम सवाल करो।

वो बाटेंगे तुमको मजहब में,
वो बाटेंगे तुमको धर्म में,।
वो बाटेंगे तुमको ऊँच-नीच में,
वो डालेंगे तुमको गर्त कीच में,।
साजिश उनकी तुम नाकाम करो।
अब उठो लड़ो तुम सवाल करो।।

वो तुमको नशाखोर बनाएंगे,
शिक्षा से बहुत दूर ले जाएंगे।
वो तुमको अपसंस्कृति परोसेंगे,
वो तुमको जाहिल बनाएंगे।
कुनीतियाँ उनकी तुम बदनाम करो।
अब उठो लड़ो तुम सवाल करो।।

वो झूठे सपने तुमको दिखाएंगे,
झूठे वादों में तुमको उलझायेंगे।
तुम्हारी तर्कशक्ति को वो मिटायेंगे,
तुमको आंख वाला अंधा वो बनाएंगे।
कुशासन का उनके तुम पर्दाफाश करो।
अब उठो लड़ो तुम सवाल करो।

अपना इतिहास पलट कर तुम देखो तो सही,
सिर्फ रोम नहीं जला नीरो की बांसुरी भी जली।
मरने के बाद उल्टा लटकाया गया मुसोलिनी,
तबाह किया तुम्हीं ने हिटलर की तानाशाही।
ताकत की अपनी फिर तुम पहचान करो,
अब उठो लड़ो तुम सवाल करो।

अपने हक की तुम मांग करो।
अब उठो लड़ो तुम सवाल करो।।


*पूर्णजीत गुप्ता "पूर्ण"*
चूड़ामणिपुर, जौनपुर, उ.प्र.

3 comments:

  1. बहुत सुंदर लिखें है गुप्ता जी

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  2. अति सुंदर रचना वकील साहब आज कि स्थिति को बयां करती हुई👍👍👍👍👍👍👍

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  3. बहुत सुन्दर भैया जी ऐसे ही हम सब को जागरूक करते रहिये 👍👍❤️❤️

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