घर को बनायें प्राथमिक शिक्षा का केंद्र
बदलते परिवेश में शिक्षा प्रणाली, परिपाटी व परंपरा भी
बदलती जा रही है. आज अभिभावक दो वर्षीय बच्चे
को प्ले स्कूल में डाल कर कर्त्तव्य की शुरुआत कर देते
हैं, बच्चें को जल्द ही समझदार बनाना अपनी जिम्मेदारी
समझते हैं, लेकिन अनजाने में वे अपने बच्चों को समाज
और परिवार से दूर करने का भी काम करते हैं.
बच्चे का प्राथमिक स्कूल घर, परिवार और समाज ही है ,
जो नैतिकता, सामाजिकता व भाईचारे का पाठ पढ़ाता
है. बालक माता-पिता, दादा-दादी , भाई-बहन,
रिश्तेदारों आदि से मातृभाषा सीखता है, इससे संस्कार
भी मिलता है, लेकिन कच्ची उम्र में ही स्कूलों के दरवाज़े
तक पहुंचा देने पर वे व्यावहारिक ज्ञान से अछूत रह जाते
हैं, इसलिए जरूरी है कि अभिभावक बच्चों को स्कूल
भेजने के पहले घर को ही प्राथमिक शिक्षा का केंद्र बनाएं,
® रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
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