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गलती इंसान से हो सकती है पर माफी मांग स्वीकार करें

जब इंसान की गलती से जुबान फिसले तो माफी मांग लें अन्यथा होने वाली कानूनी कारवाई के लिए तैयार रहें



नैतिक रूप से इसका सकारात्मक पक्ष यह भी है कि भारतीय समाज व राजनीति में किसी ने माफी मांगने का साहस तो दिखाया है। वरना यहां तो हम आरोप के जवाब में आरोप लगाने की कुचालें ही चलते हुए देखते हैं। आजकल केवल राजनीति में ही नहीं, बल्कि आम-जनजीवन में भी सॉरी शब्द का प्रचलन और प्रयोग न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में बहुत ज्यादा होने लगा है।

गलती इंसान से हो सकती है पर माफी मांग स्वीकार करें-


आप किसी भी घटना, दुर्घटना के बाद इस शब्द को बोल कर बच कर निकल सकते हैं और सामने वाला पीड़ित व्यक्ति भी केवल इस छोटे से शब्द बोलने से ज्यादा प्रभावित हो जाता है। मगर आजकल इसका प्रयोग कुछ ज्यादा ही होने लगा है और इसके मायने भी बदल गए हैं। आज लोग किसी को जानबूझ कर मारपीट कर, हत्या कर, छेड़कर, प्रताड़ित कर, आरोपित कर, धक्का देकर, विवादित टिप्पणी कर या फिर ऐसे भी बहुत सारी घटनाओं को करने के बाद उससे बचने के लिए इस तरह के शब्द बोलते हैं और बचकर निकल जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि वह व्यक्ति जिसने उस घटना के बाद सॉरी बोला है, उसके बाद उसने उस तरह की घटनाओं से दूर हुआ है या ऐसी घटनाएं दुबारा नहीं दुहराता है? आपका जवाब होगा नहीं। तो फिर लोग इस तरह के शब्द क्यो बोलते हैं? क्या वह इसका मतलब नहीं जानते या इसका महत्व नहीं जानते, या फिर जानबूझ कर दूसरों पर अपनी छाप छोड़ने के लिए ऐसा करते हैं।

रतेऊ में लगे आरोप निराधार गलती पर माफी मागें लीलाराम, हमीराराम व शिवराम या ठोस सबूत बताएं -


बाड़मेर जिले के गिड़ा उपखंड क्षेत्र के ग्राम रतेऊ में लक्ष्मण राम पुत्र केवलराम के घर पर धार्मिक अनुष्ठान जागरण के अवसर पर बहुचर्चित सायर उत्पीड़न व अत्याचार मामले में आरोपियों का साथ देने के आरोप में पांबद जैसलमेर जिले के भणियाणा तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत राजमथाई निवासी लीलाराम पुत्र रेंवताराम गर्ग, हमीराराम पुत्र प्रतापाराम गर्ग और गाँव दांतल निवासी शिवराम गर्ग ने इस प्रकरण में मिडिया में लगी न्यूज, लेख पर अंगुली उठाई और स्वतंत्र लेखक, संवाददाता पत्रकार पर निराधार आरोप लगाया कि आपने हमारे पर केस कानूनीकार्रवाई करवाई जो सरासर झूठ व लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मिडिया के अधिकार का साफ उल्लंघन किया है। और जाते-जाते आरोपित लीलाराम पुत्र रेंवताराम, हमीराराम पुत्र प्रतापाराम, शिवराम गर्ग दांतल ने यह कहा कि पिड़िता का हम तलाक कराएंगे और स्वतंत्र लेखक अपने घर रखेंगे। इसको लेकर स्वतंत्र लेखक ने कानून का दरवाजा खटखटाया है। स्वतंत्र लेखक ने आरोपियों आगाह किया है कि पीड़िता के तलाक उनके लिए करवा रहे है इनका ठोस सबूत न्यायालय सहित मौजूद लोगों के बीच पेश करें या कानूनी कार्रवाई, मानहानि सहित महिला उत्पीड़न अत्याचार की सजा भुगतने के लिए तैयार रहें। रतेऊ निवासी लक्ष्मणराम पुत्र केवलराम गर्ग के घर आयोजित जागरण के मौके पर करीब पचास लोगों के बीच लीलाराम पुत्र रेंवताराम ने अपने मुँह से बोला कि हम हमारी पुत्रवधू को तलाक करवा रहें है और यह घर रखेगा...! इस मौके पर लक्ष्मणराम रतेऊ, पीराराम उण्डू शंकराराम, थानाराम, जगदीश, मोहन गर्ग झाक, लुणाराम भीमडा, हुक्माराम शिव गूंगा, रवि, रामूराम, तोगाराम, लालाराम शहर, चैनाराम शहर के साथ मकान पर चिणे छत लगाने आए अलग-अलग समाज के मौजूद थे और इन सबके बीच कहा यह लोग गवाह के तौर पर मौजूद है। लेखक आरोप है लीलाराम, हमीराराम, शिवराम सहित पंचायती लेकर आये लोग लगाये आरोप का ठोस सबूत पेश करें या वहां मौजूद सभी लोगो को इकट्ठा करके उनके बीच अपने शब्द व झूठे आरोप पर माफी मागें अन्यथा जो भी कानूनी कार्रवाई होगी वो भुगतने तैयार रहे।

माफी नहीं मांगी तो पड़ सकता है भारी लीलाजी -


पूरा प्रकरण तलाक सहित उत्पीड़न में होगे यह जिम्मेदार होगें क्योंकि अब तक मामले में सिर्फ इन लोगों पर झूठी गवाह व बहकाने के साथ साथ देने पर पांबद करने का आरोप था परंतु रतेऊ में बोल शब्द लीलाराम सहित साथ आए लोगो पर भी भारी पड़ेगा। तलाक आदि की बाते व पिड़िता को आगे भेजने ऐसी बाते की जिसकी पुख्ता सबूत पचास लोग अलग गावं व अलग गांव के लोग गवाह है।  जिससे पूरा केस का मुख्य बिन्दु महिला उत्पीड़न घरेलू हिंसा और अत्याचार के तलाक दिलाने का पूरा मामला इनपर जाएगा। यह पुलिस प्रशासन को पेश रिपोर्ट में पांबद करने को पिड़िता ने कहा था और पुलिस के पांबद नोट का उल्लंघन है। न माफी का वास्तविक हार्द उद्घाटित करना होगा। क्योंकि उस परिवेश और परिस्थिति में माफी का उदाहरण कभी नहीं विकसित हो सकता जहां स्वार्थों एवं संकीर्णता की दीवारें समझ से भी ज्यादा ऊंची उठ जाएं। विश्वास संदेहों के घेरे में घुटकर रह जाए। समन्वय और समझौते के बीच अहं आकर खड़ा हो जाए, क्योंकि अहं की उपस्थिति में आग्रह की पकड़ ढीली नहीं होती और बिना आग्रह टूटे माफी तक पहुंचा नहीं जा सकता। बात समाज की मौखिक पंचायती करके लीलाराम पुत्र रेंवताराम गर्ग, हमीराराम पुत्र प्रतापाराम गर्ग और गाँव दांतल निवासी शिवराम गर्ग ने झूठा आरोप लगाया हम तलाक इनके लिए कराएंगे और पिड़िता को यह पर रखेंगे इसका ठोस प्रमाणित सबूत पेश करावें या गलती से निकले शब्द पर समाज में आकर यह लोग माफी मांग लें अन्यथा जो भी कानूनी कार्रवाई होगी उसके लिए बाध्य रहें। आरोप-प्रत्यारोप से उपजे मुकदमों की नहीं है, बात कानून की भी नहीं है, यहां बात भारतीय संस्कृति के मूल्यों की है। राजनीति में माफी के बढ़ते प्रचलन से राजनीति आदर्शों एवं मूल्यों में कोई फर्क पडेगा या नहीं, लेकिन दुनिया में भारतीय संस्कृति और उसके उच्च मूल्य मानकों का सम्मान जरूर होगा। हमें एक सन्देश जरूर मिलेगा कि यदि हमारे व्यवहार से औरों को कुछ कष्ट होता है तो उसके लिए विनम्रतापूर्वक माफी मांग लेनी चाहिए।

झूठ को ईश्वर परमात्मा भी माफ न करेंगे - 


यदि हम दूसरों को माफ नहीं कर सकते तो परमात्मा कैसे हमारी अनंत भूलों, पापों को माफ करेगा। यह मान के चलिये कि मनुष्य गलतियों का पुतला है। फिर भी दूसरों की त्रुटियां क्षम्य है, लेकिन अपनी स्वयं की गलती के लिए प्रायश्चित करना चाहिए। अपने सभी कर्मों को भगवान को समर्पित कर अपनी गलती के लिए सदैव सजग व जागरूक रहना चाहिए। यही गुणों को जीवन में विकसित करने का रास्ता है। गौतम बुद्ध ने प्रेरक कहा है कि पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सद्गुण की महक सब ओर फैलती है। ईसा ने अपने हत्यारों के लिए भी प्रभु से प्रार्थना की कि प्रभु इन्हें क्षमा करना, इन्हें नहीं पता कि ये क्या कर रहे हैं। ऐसा कर उन्होंने परार्थ-चेतना यानी परोपकार का संदेश दिया।


- सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 
( सहायक उपानिरीक्षक - भारतीय रक्षा सेवाएं और स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी )

निवास :- श्री गर्गवास राजबेरा, बाड़मेर, राजस्थान।

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