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महिलाओं पर बढ़ते जुल्म घरेलू हिंसा और उत्पीड़न बहुत चिंता का विषय mahilao par badhate julam hinsa or utpidan bahut chinta ka viyash

 महिलाओं पर बढ़ते जुल्म घरेलू हिंसा और उत्पीड़न बहुत चिंता का विषय




भारत में महिलाएं हर तरह के सामाजिक, धार्मिक, प्रान्तिक परिवेश में हिंसा का शिकार हुई हैं। महिलाओं को भारतीय समाज के द्वारा दी गई हर तरह की क्रूरता को सहन करना पड़ता है चाहे वो घरेलू हो या फिर शारीरिक, सामाजिक, मानसिक, आर्थिक हो। भारत में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को बड़े स्तर पर इतिहास के पन्नों में साफ़ देखा जा सकता है। वैदिक काल में महिलाओं की स्थिति आज के मुकाबले बहुत सुखद थी पर उसके बाद, समय के बदलने के साथ-साथ महिलाओं के हालातों में भी काफी बदलाव आता चला गया। परिणामस्वरुप हिंसा में होते इज़ाफे के कारण महिलाओं ने अपने शिक्षा के साथ सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक समारोह में भागीदारी के अवसर भी खो दिए।

बढ़ता महिला उत्पीड़न गहरी चिंता का विषय - 


प्राचीन युग में जहाँ नारी को देवीतुल्य समझा जाता था वहीं आज नारी कभी दहेज के नाम पर तो कभी पुरुष के अहं की तृप्ति के लिए उनकी बर्बरता का शिकार हो रही है । आए दिन अखबार में नारी के प्रति दुराचार, अत्याचार, बलात्कार व दहेज के लिए जिंदा जला देने जैसे जघन्य अपराध सुर्खियों में दिखाई देते हैं ।


आज हमारा देश विश्व के प्रमुख भ्रष्ट देशों में से गिना जाता है । भ्रष्टाचार हमारे देश की सबसे बड़ी सामाजिक समस्या है । काला धन, मँहगाई, घूसखोरी, चोर-बजारी सभी भ्रष्टाचार के ही रूप हैं । छोटे कर्मचारी से लेकर शीर्षस्थ पदों पर आसीन अधिकारी तथा देश के नेतागण सभी भ्रष्टाचार मैं लिप्त हैं । उनके असंतोष व स्वार्थ लोलुपता का कहीं अंत ही दिखाई नहीं पड़ता ।


देश ने औद्‌योगिक विकास की दृष्टि से विशेष प्रगति की है । विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में आज हम अग्रणी देशों में गिने जाते हैं परंतु यह हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी छुआ-छूत, जातिवाद, भाई-भतीजावाद जैसी सामाजिक विषमताएँ पनप रही हैं । भारतीय राजनीति अभी भी इनसे प्रेरित है । हमारे नेतागण लोगों की इन्हीं कमजोरियों का लाभ उठाकर सत्ता पर विराजमान हो जाते हैं ।


हमारी सामाजिक कुरीतियाँ राष्ट्र के विकास की अवरोधक हैं । ये सामाजिक विषमताएँ तथा उनसे उत्पन्न कुरीतियाँ तब तक दूर नहीं की जा सकतीं जब तक कि हम उनके मूल कारणों तक नहीं पहुँचते व देश में व्याप्त अशिक्षा, निर्धनता तथा बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित नहीं कर लेते हैं ।

चीन के बाद हमारा देश विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है जहाँ लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या आज भी गरीबी रेखा से नीचे जी रही है । इन लोगों को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अत्यधिक संघर्ष करना पड़ता है । लगभग इतने ही लोग ऐसे हैं जिन्हें अपना नाम भी लिखना नहीं आता है ।

महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों के कारण उन्हें भरपेट भोजन नहीं दिया जाता था, उन्हें अपने मनपसंद कपड़े पहनने की अनुमति नहीं थी, जबरदस्ती उनका विवाह करवा दिया जाता था, उन्हें गुलाम बना के रखा जाने लगा, वैश्यावृति में धकेला गया। महिलाओं को सीमित तथा आज्ञाकारी बनाने के पीछे पुरुषों की ही सोच थी। 

महिला उत्पीड़न व घरेलू हिंसा की शिकार सायर के न्याय हो - 


आज महिला उत्पीड़न सबसे चर्चित विषय है। बेवजह महिला के साथ अन्याय कर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। कुछ ऐसा ही उदाहरण राजस्थान के जैसलमेर जिले के एक गांव से है जहां एक महिला लगभग चार-पांच महीने से बहुत गहरी मानसिक पीड़ा झेल रही है। मुझे मिली जानकारी व पुलिस उपाधीक्षक को सौंपे ज्ञापन की काॅपी के अनुसार इस महिला की दास्तान बयां करती है कि आज से तकरीबन पन्द्रह साल पहले पीड़िता सायर गर्ग जिसनें सातों जन्म के साथ का 

वादा लेकर बाबुल के घर से विदा हुई थी उसी हमसफर पति नें अपने माता-पिता व भाईयो के साथ मिलकर छोटे चार बच्चों सहित पीड़िता को गहरी मानसिक पीड़ा दी है।


  न्याय की दरकार के उम्मीद से सायर पहुंची पुलिस उपाधीक्षक के द्वार - 



झूठे मुकदमे व न्याय दिलवाने के लिए पीड़िता सायर ने दिया पुलिस उपाधीक्षक पोकरण को ज्ञापन, चार-पांच महीने से मानसिक रूप से प्रताड़ित उत्पीड़न का शिकार हो चुकी जैसलमेर जिले के पोकरण उपखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत राजमथाई के लोंगासर निवासी सायर गर्ग पत्नी भगाराम ने पुलिस उपाधीक्षक वृत पोकरण कार्यालय मे उपस्थित होकर ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई। सौंपे ज्ञापन मे पीड़िता ने अपने पति भगाराम सहित सास टीबीदेवी ससुर केशराराम गर्ग जेठ तांबाराम व दुर्जनराम गर्ग पर मारपीट कर जान से मारने, जबरदस्ती तलाक देने व पड़ोसियों से गलत संबंध होने का झूठा आरोप लगाकर केस कारवाई में फंसाया जा रहा है।


जिन्दगी के हमसफर पति सहित अपने हुए खिलाफ जल्द न्याय मिलें सायर को -



पीड़िता ने बताया कि मेरे चार छोटे बच्चे है जिनका पालन-पोषण मैं स्वयं कर रही हूं और मेरा पति करीब चार माह से घर नहीं आ रहा है और अपने माता-पिता व भाईयो के बहकावे मे आकर मेरे पर झूठा आरोप लगाकर जबरदस्ती तलाक लेना चाहता है जिसके लिए उसने कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। मुझे तलाक नहीं लेना है मेरे बच्चों के साथ रहकर यहीं परजिन्दगी गुजारनी चाहती हूं।  पीड़िता सायर ने बताया कि पिछले महीने की चार तारीख को मेरे साथ सास टीबीदेवी -ससुर कैशराराम,जेठ तांबाराम, दुरजनराम और पति भगाराम ने एकराय हो मिलकर मेरे साथ मारपीट की और रस्सी से बांध दिया था फिर मेरे बच्चों ने खोला अगले दिन मैंने हल्का पुलिस थाना फलसुंड मे इनके खिलाफ मामला दर्ज करवाया, इसके बाद फिर बाइस तारीख को मामला दर्ज कराया बावजूद इसके अभी तक मुझे कोई न्याय नहीं मिल पाया है। 


महिला उत्पीड़न की शिकार सायर के साथ न्याय दिलावें प्रशासन - 



पीड़िता सायर का कहना है कि ससुर के ट्यूबवेल में मेरा हिस्सा है फिर भी पानी नहीं देते है। पड़ोसी डूंगराराम पुत्र नारणाराम जाति मेघवाल को पिछले साल मेरे पति भगाराम ससुर केशराराम गर्ग व जेठ सहित सभी मिलकर अपनी सहमति से मेरे हिस्से की 20बीघा जमीन हिस्से पर दो साल की बोली पर दिलाई थी परन्तु एक सीजन सियालु लेने के बाद पड़ोसियो पर नाजायज गलत होने का आरोप लगाकर जमीन छुड़वा ली अब काफी समय गुजर जाने के बाद भी मुझे न यह जमीन हिस्से पर जोतते और न ही पड़ोसियो को देने देते है मेरी आजीविका खेती मजदूरी पर ही निर्भर है।


अपने हुए बेगाने न्याय के लिए डिप्टी के द्वार पहुंची सायर - 


पीड़िता के पुलिस उपाधीक्षक को न्याय की गुहार लगाते हुए ज्ञापन में लिखा कि मेरे सास-ससुर जेठ पति को बहकावे मे लेकर अपने साथ ले गए है मुझे पिछले करीब चार-पांच महीने से मानसिक रूप से प्रताड़ित दुखी कर रहे है मेरी शादी को हुए करीब पन्द्रह साल से अधिक समय हुआ है। मेरी चार संतान है जिसमे दो पुत्र व दो पुत्री है जो छोटे है। पति सहित सास-ससुर व जेठ मेरे पर तलाक का दबाव डालकर घर व संपत्ति से बेदखल करना चाहते है और बोलते कि तुम बच्चे लेकर पीहर चली जाओ। पीड़िता सायरों ने बताया कि मेरे पिताजी व भाई गरीब है और मुझे वहां नहीं रख सकते है। पीड़िता ने सौपें ज्ञापन में बड़े ससुर के पुत्र लीलाराम पुत्र रेंवताराम गर्ग , हमीराराम पुत्र प्रतापाराम गर्ग और गाँव दांतल निवासी शिवराम गर्ग पर आरोप लगाते हुए लिखा कि यह लोग मेरे सास-ससुर, जेठ व पति को गलत झूठी बातों मे साथ देकर बहका रहे है जिस पर मेरे साथ मारपीट  करावा कर झूठे मामलो में फंसाकर  बेवजह मानसिक पीड़ा दे प्रताड़ित कर रहे है। पीड़िता सायर ने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस उपाधीक्षक वृत पोकरण को लिखा कि मेरे साथ जल्द न्याय दिलावें और आरोपियों को पाबंद किया जावें।


महिला हिंसा व बढ़ता उत्पीड़न गहरी चिंता का विषय - 



मध्यकालीन युग में इस्लाम और हिन्दू धर्म के टकराव ने महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को बढ़ावा दिया। नाबालिग लड़कियों का बहुत कम उम्र में विवाह कर दिया जाता था और उन्हें हर समय पर्दे में रहने की सख्त हिदायत दी जाती थी। इस कारण महिलाओं के लिए अपने पति तथा परिवार के अलावा बाहरी दुनिया से किसी भी तरह का संपर्क स्थापित करना नामुमकिन था। इसके साथ ही समाज में बहुविवाह प्रथा ने जन्म लिया जिससे महिलाओं को अपने पति का प्यार दूसरी महिलाओं से बांटना पड़ता था। नववधू की हत्या, कन्या भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा महिलाओं पर होती बड़ी हिंसा का उदाहरण है। इसके अलावा महिलाओं को भरपेट खाना न मिलना, सही स्वास्थ्य सुविधा की कमी, शिक्षा के प्रयाप्त अवसर न होना, नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न, दुल्हन को जिन्दा जला देना, पत्नी से मारपीट, परिवार में वृद्ध महिला की अनदेखी आदि समस्याएँ भी महिलाओं को सहनी पड़ती थी।

भारत में महिला हिंसा से जुड़े केसों में होती वृद्धि को कम करने के लिए 2015 में भारत सरकार जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन) बिल लाई। इसका उद्देश्य साल 2000 के इंडियन जुवेनाइल लॉ को बदलने का था क्योंकि इसी कानून के चलते निर्भया केस के जुवेनाइल आरोपी को सख्त सजा नहीं हो पाई। इस कानून के आने के बाद 16 से 18 साल के किशोर, जो गंभीर अपराधों में संलिप्त है, के लिए भारतीय कानून के अंतर्गत सख्त सज़ा का प्रावधान है। 

- सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 

( सहायक उपानिरीक्षक - रक्षा सेवाएं व स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी आकाशवाणी श्रोता )
श्री गर्गवास राजबेरा, बाड़मेर, राजस्थान ।
ई-मेल - rawatgargundoo@gmail.com

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