कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

October 06, 2024

भारत के गिनीज विश्व रिकॉर्ड Bharat ke world record

 भारत के गिनीज विश्व रिकॉर्ड Bharat ke world record

BHART के कुछ ऐसे कारनामे जो  विश्व रिकोर्ड में शामिल हैं जिनके बारे में हम इस लेख में विस्तार से जानेगे । भारत के कुछ विशेष रहस्य जो विश्व रिकोर्ड  गिनीज बुक में नाम दर्ज हैं उनकी लिस्ट निचे दिया गया हैं  

विश्व की सबसे लम्बी पगड़ी

विश्व की सबसे लम्बी पगड़ी पहनने का रिकॉर्ड पंजाब (भारत) के अवतार सिंह मौनी के नाम पर है। इस पगड़ी का वजन 100 पौंड है और इसकी लम्बाई 645 मीटर है।

 

विश्व की लम्बी मूंछ

विश्व की सबसे लम्बी मूंछ का रिकॉर्ड जयपुर (भारत) के  राम सिंह चौहान के नाम है। इनकी मूंछ की लम्बाई 14 फीट की है।

 

विश्व की सबसे बड़ी चपाती

विश्व में सबसे बड़े चपाती बनाने का रिकॉर्ड भारत के श्री जलाराम मंदिर जीर्णोद्धार समिति के पास है। यह समीति जामनगर में स्थित है और इस चपाती का वजन 145 किलोग्राम था।

 

सबसे अधिक संख्या में लिया गया सेल्फी पोर्टेट

भारत के फेडेरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की तरफ से आयोजित सेल्फी समारोह में यहाँ के सभी स्टाफ तथा विद्यार्थियों ने एक साथ मिल कर एक मिनट में 1000 फ्रेम के अंतर्गत सेल्फी ली। इस तरह यह सबसे अधिक संख्या में लिया गया सेल्फी विश्व रिकॉर्ड भारत के नाम हुआ। यह कैंपस कोच्चि के अंगमली के पास स्थित है।

 

सबसे खर्चीला विवाह

विश्व भर का सबसे खर्चीला विवाह भारत के स्टील कंपनी के मालिक लक्ष्मी मित्तल की बेटी वनिशा मित्तल के विवाह का है। इस विवाह में कुल 60 मिलियन डॉलर खर्च हुआ था।

 

विश्व की सबसे बड़ी बिरयानी

विश्व की सबसे बड़ी बिरयानी बनाने का रिकॉर्ड भारत के नाम है। इस बिरयानी को बनाने के लिए 60 शेफ ने एक साथ कार्य किया था। इसके अंतर्गत कुल 12,000 किलोग्राम चावल और सब्ज़ियाँ थी।

 

विश्व की सबसे छोटी गाय

विश्व की सबसे छोटी गाय का रिकॉर्ड केरल (भारत) के पास है। इस गाय की ऊँचाई 61.5 सेंटीमीटर है यानि लगभग एक बकरी के ऊंचाई जितनी ऊंचाई है।

 

 

October 06, 2024

Hindu Calendar Months name हिंदी पंचांग के 12 माह के नाम

 Hindu Calendar Months name, hindi mahino ke naam, hindi me months name, हिंदी के महीने, हिन्दू महीना , हिंदी के बारह  माह,

हिंदी पंचांग के बारह १२  माह के नाम Hindi ke barah mahina a list naam

 आज के इस युग मे सभी लोग अंग्रेजी महीनों के नाम जाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि हिंदी में हमारे जो माह  होते हैं उनके नाम क्या है? शायद आप ना ही कहेंगे , क्योकि हमारा समाज अपनी भाषा संस्कृति को  छोड़ पाश्चात्य भाषा संस्कृति की ओर बढ़ते जा रहे हैं यही कारण हैं की आज की जनरेशन को अपनी संस्कृति अपनी भाषा आदि के बारे कुछ भी नही पता रहता हैं ,  ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जो हिंदी के १२ महीनो के बारे में जानते हैं। आज की दुनिया मे हिंदुस्तानी लोगों को भी  हिंदी के महीनों के नाम नहीं पता होते है। हम आपको बता दे की  भारतीय संस्कृति में सभी त्यौहारों को हिंदी महीनों के हिसाब से ही व्यवस्थित किया जाता है और जितने भी त्यौहार और धार्मिक (अध्यात्मिक) कार्य होते हैं। सभी हिंदी महीने के अनुसार ही सुनिश्चित किया जाता है 

 आज के इस लेख में हम भारतीय  महीनों के नाम, महत्व और पंचांग की मदद से कैसे त्योहारों को आयोजित किया जाता है इसके बारे में जानेंगे। 

 

भारतीय महीनों के बारे में hindi mahina, हिन्दू महिना के नाम 

हम आप  सभी जानते है कि अंग्रेजी में 12 बारह महीने होते हैं यानी 12 महीनों या 365दिन को मिलकर एक वर्ष कहा जाता है। ठीक इसी प्रकार हमारे भारतीय हिन्दू  समाज में भी  हिंदी पंचांग के अनुसार 1 वर्ष में 12 महीने ही होते हैं। अंग्रेजी में जिस प्रकार पहला महिला जनवरी को होता है ठीक वैसे ही हिंदी (हिन्दू) महीने के अनुसार नववर्ष का आरंभ चैत्र मा (महीने) से होता है और सभी सरकारी/गैर सरकारी का कार्यो का बही- खाता का संचालन भी इसी माह से को ध्यान रखकर किया जाता हैं और  अंत फाल्गुन मास से होता है इसलिए दोस्तों होली के दिन ही हमारे हिंदू महत्व के अनुसार हमारे हिंदी महीने का नववर्ष आरंभ होता है ।

 

भारतीय समाज में फल्गु महीने का अंत और चैत महीने की शुरुआत के साथ किसानों का विशेष  लगाव भी होता है क्योंकि नव वर्ष के आरंभ के बाद चैत्र मास शुरू होता है और इसी चैत्र माह में हम रवि की  फसल को काटते हैं यह महिना  किसानों के लिए बहुत खुशी का महीना होता है इस महीने में चारों तरफ लगा रवि की  फसल लहराते हैं और किसानो के दिल को छू जाते  है लहराती फसले किसानों के हृदय को बहुत सुकून पहुचाती  हैं

Bhartiya mahino ke naam (हिंदी महीनों के नाम)

हिंदी महीने का नाम ( hindi mahina name )

  1. पौष
  2. माघ
  3. फाल्गुन
  4. चैत्र
  5. वैशाख
  6. ज्येष्ठ
  7. आषाढ़
  8. श्रावण
  9. भाद्रपद
  10. आश्विन
  11. कार्तिक
  12. मार्गशीर्ष

 

हिन्दू मास पंचाग के अनुसार HINDU MAHINA KA NAAM

  1. पौष- 31 दिसंबर 2020 से 28 जनवरी 2021
  2. माघ- 29 जनवरी से 27 फरवरी 2021
  3. फाल्गुन- 28 फरवरी से 28 मार्च 2021
  4. चैत्र- 29 मार्च से 27 अप्रैल 2021
  5. वैशाख- 28 अप्रैल 26 मई 2021
  6. ज्येष्ठ- 27 मई से 24 जून 2021
  7. आषाढ़- 25 जून से 24 जुलाई 2021
  8. श्रावण- 25 जुलाई से 22 अगस्त 2021
  9. भाद्रपद- 23 अगस्त से 20 सितंबर 2021
  10. आश्विन- 21 सितंबर से 20 अक्तूबर 2021
  11. कार्तिक- 21 अक्तूबर से 19 नवंबर 2021
  12. मार्गशीर्ष- 20 नवंबर से 19 दिसंबर 2021
  13. पौष- 20 दिसंबर 2021 से 17 जनवरी 2022

 

 

October 06, 2024

sanskrit me ashtro ke naam, संस्कृत में अस्त्रों के नाम

 sanskrit me ashtro ke naam, संस्कृत में अस्त्रों के नाम , अस्त्र के संस्कृत नाम , शस्त्र के संस्कृत नाम, संस्कृत में शस्त्र के संस्कृत नाम, अस्त्र शस्त्र के संस्कृत नाम, सभी अस्त्र और शस्त्र के संस्कृत नाम, 

संस्कृत हिंदी में अस्त्रों शस्त्रों के नाम 

आयुधम् - शास्त्र-अस्त्र
आयुधागारम् - शास्त्रागार
आहवः- युद्ध
कबन्धः - धड़
करबालिका - गुप्ती
कारा - जेल
कार्मुकम् - धनुष
कौक्षेयकः - कृपाण
गदा - गदा
छुरिका - चाकू
जिष्णुः - विजयी
तूणीरः - तूणीर
तोमरः - गँड़ासा
 धन्विन् – धनुर्धर
प्रहरणम् - शस्त्र
प्रासः - भाला
वर्मन् - कवच
विशिखः - बाण
वैजयन्ती - पताका
शरव्यम् - लक्ष्य
शल्यम् - वर्छी
सायुंगीनः - रणकुशल
सादिन् - घुड़सवार
हस्तिपकः – हाथीवान


October 06, 2024

मैथिलीशरण गुप्त- दोनों ओर प्रेम पलता है की व्याख्या maithilisharan gupt /Dono or prem palata h ki vyakhya

मैथिलीशरण गुप्त- दोनों ओर प्रेम पलता है कविता की व्याख्या, मैथिलीशरण गुप्त की कविता, दोनों और प्रेम पलता है का सारांश, दोनों और प्रेम पलता है कविता का केन्द्रीय भाव, दोनों और प्रेम पलता है का भावार्थ , दोनों और प्रेम पलता है कविता का अर्थ, maithilisharan gupt /,Dono or prem palata h ki vyakhya, Dono or prem palata h kavita ka kendriye bhav, Dono or prem palata h ki vyakhya kavita ka saransh, Dono or prem palata h ki vyakhya kavita ka arth,


      मैथिलीशरण गुप्त

दोनों ओर प्रेम पलता है कविता की व्याख्या 


1
दीपक और पतंगे के प्रतीक के माध्यम से उर्मिला कहती है- है सखि सच्चा प्रेम तो दोनों ओर समान भाव से पलता है, बढ़ता है। जैसे यदि पतंगा दीपक के प्रकाश में जलता है, तो दीपक भी निरन्तर जलता ही रहता है, दीपक की लौ उसकी अंतर्ज्वाला ही तो है। दीपक स्वयं अपनी ज्वाला में धीरे धीरे जलता रहता है, परन्तु वह पतंगे को जलने से रोकना चाहता है। पतंगा दीपक की ज्वाला से आकर्षित होकर रूप लिप्सा मे अपने को मिटा देने की इच्छा से उसके समीप जाता है। भावों की विह्वलता मे यह भी नही सोचता की यह ज्वाला उसे नष्ट कर देगी। दूसरी ओर दीपक प्रेम की अग्नि में जलते हुए भी अपने प्रेमी को उस जलन से बचाना है। वह सिर हिला हिलाकर (दीपक की लौ  हिलती है, तो मानो दीपक सिर हिलाकर मना करता है) पतंगे को अपने समीप आने से मना करता है, परन्तु पतंगा कब मानता है? दीपक की ज्वाला में उत्सर्ग होकर (जलकर) ही रहता है। इस प्रकार दीपक और पतंगें दोनो मे ही भावो की विह्वलता दर्शनीय है। प्रेम में उत्सर्ग होकर पतंगा अपनी विह्वलता का परिचय देता है और उसे रोकने का प्रयास करने पर भी उसको न रोक सकने की विवशता और उसका उत्सर्ग (आत्मदाह) देखकर भी मंद मंद जलते रहना दीपक की अंतर्दाहकता को व्यक्त करता है। इस प्रकार प्रेम दोनो ओर पलता है, एक और नहीं।

उर्मिला कहती है पतंगा यदि दीपक का संकेत समझकर स्वयं को उसकी लौ से दूर कर भी लेता तो यह कष्ट भी उसके लिए मरण-तुल्य ही होगा। प्रणय भाव को त्याग कर जीवित रहना प्रेमी हृदय के लिए अत्यंत कष्टकारी ही होगा। अतः यदि वह जलेगा नहीं तो पश्चाताप (वियोग) की  आग में जीवनपर्यन्त झुलसता रहेगा, क्योंकि प्रिय से दूर, प्रणय त्यागकर जीवित रहना किसी भी प्रकार से उचित नही माना जा सकता,

दीपक की लौ में प्राणोंत्सर्ग  करना असफलता नहीं है बल्कि जीवित रहना ही उसके जीवन की असफलता होगी, क्योंकि प्रेम दोनो ओर समान भाव से पलता है।
कहता है पतंग..... वश चलता है।
उर्मिला कहती है दीपक के रोकने पर पतंगा नहीं रुकता है अपितु दिन होकर कहता है - है प्रिय दीपक ! तुम महान् हो जो अपनी ज्वाला में चुपचाप जल रहे हो, मै तुम्हारी तुलना मे अत्यंत लघु हूँ। मै इस प्रकार धीरे धीरे जलकर अपना प्रकाश दूसरों में नही बाँट सकता, परन्तु मरण भी मेरे वश में नहीं है अर्थात मै मरकर तो इस प्रेम की गरिमा को बढ़ा सकता हूँ। मरण की शरण किसी को छल नहीं सकती। अर्थात जब मै मृत्यु की शरण में चला जाऊँगा, तो मुझे जलकर मर मिटने का यश मिल जायेगा और मेरा तुम्हारे प्रति प्रेम अमर बन जायेगा।
अंत में उर्मिला दीपक और पतंगे के जलने की तुलना करते हुए कहती है - है सखि! दीपक के जलने में तो जीवन की लालिमा है, वह जलता पर उसके प्रकाश में जग आलोकित होता है। वह जलकर जग का कल्याण करता है, परन्तु पतंगे की भाग्य लिपि में तो जीवन की लालिमा नही, दुर्भाग्य की कालिमा है। उसका जलना भी व्यर्थ ही जाता है। वह प्रेम में उत्सर्ग हो जाता है और इससे किसी का कोई हिट भी नही होता। पर क्या करे। भाग्य पर किसका वश चलता है? अर्थात व्यक्ति भाग्य के समक्ष विवश है।

कविता का भाव यह है की उर्मिला स्वयं को पतंगा और लक्ष्मण को दीपक के रूप कल्पित कर अपने प्रेम की व्यंजना प्रस्तुत करती है:-वह दीपक को महान कहती है, क्योकि उसके जलने की प्रक्रिया में कष्ट अधिक है. पतंग तो जलकर भस्म हो जाता है पर दीपक सारी जलन हृदय में समेटे जलता ही रहता है। दूसरी बात यह है की दीपक जलकर दूसरों को प्रकाश देता है। वह परहित में जलता है जबकि पतंगा अपने लिए जलता है। उर्मिला अपने दु:ख से दुखी है। परन्तु लक्ष्मण लोकहित में कष्ट उठाने के लिए वन गये है। अतः उनका त्याग महान है।
जगती...खलता है।

प्रस्तुत पंक्तियों में लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला प्रेम के विषय में विस्तृत चर्चा कर रही है। उनका कहना है कि संसार के प्राणियों का स्वभाव बनियों जैसा है दिखाई पड़ता है है। उनकी वृति वनिगवृति हो गयी है अर्थात वे अपना सम्बन्ध उसी व्यक्ति से रखना चाहते है जिनसे उनका कोई स्वार्थ निकलता है उससे अच्छे सम्बन्ध होते है, परन्तु जिससे किसी प्रकार के स्वार्थ सिद्धि की उम्मीद नही होती है उसे कोई नही पूछता है।
मनुष्य का कार्य नही, बल्कि उस कार्य का परिणाम मूल्यांकित किया जाता है। यह बात बहुत ही खलने वाली है। जैसे यदि कोई व्यक्ति खूब श्रम एवम् पूर्ण मनोयोगपूवर्क किसी कार्य को सम्पादित करता है और संयोग से उसे सफलता प्राप्त नहीं होती है, तो लोग उसके श्रम-क्रम को पूर्णतः झुठला देते है और उसे तनिक भी महत्व नहीं मिलता है। इसके ठीक विपरीत यदि कोई भाग्य से बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेता है, तो वह सहज ही महान व्यक्ति घोषित हो जाता है। अतः हमेशा परिणाम को ही मूल्यांकन का आधार नहीं होना चाहिए, श्रम पर भी ध्यान देना चाहिए। ऐसे ही प्रेम भी है प्रेम एक तरफ नही पलता है अपितु दोनों ओर पलता है।





October 06, 2024

नादान दोस्त कहानी के लेखक प्रेमचंद है, नादान दोस्त कहानी का सारांश

 नादान दोस्त कहानी के लेखक प्रेमचंद है। , नादान दोस्त कहानी दो भाई-बहन पर आधारित है।,  इस कहानी में प्रेमचंद जी ने केशव और श्यामा नामक भाई-बहन की नादानी का जिक्र किया है।.  इस कहानी में बच्चों की नादानी की झांकी देखने को मिलती है।,  नादान दोस्त की कहानी का सारांश नीचे पढ़े।,

 

 

नादान दोस्त कहानी का सारांश / Nadan dost kahani Saransh

 

 कहानी का सारांश 

केशव और श्यामा दो भाई-बहन हैं। उनके घर के कार्निस के ऊपर चिड़िया ने अंडे दिए थे। दोनों भाई-बहन हर रोज चिड़िया को आते-जाते देखते हैं। दोनों भाई उनको देखने में इतने मगन हो जाते कि अपना खाना-पीना भी भूल जाते थे। चिड़िया के अंडों को देखकर उनके मन में कई सवाल उठते थे 

जैसे बच्चे कब बड़े होंगे, किस रंग के होंगे, बच्चे किस तरह से निकलेंगे। बच्चों के इन प्रश्नों का उत्तर देने वाला कोई नहीं था क्योंकि उनके पिता पढ़ने-लिखने में तो माँ घर के कामों में व्यस्त रहती थीं। इसलिए दोनों आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे।

इस तरह तीन चार दिन गुजर जाते हैं। दोनों चिड़िया के बच्चों के लिए परेशान होने लगते हैं। उन्हें लगता है कि कहीं चिड़िया के बच्चे भूख-प्यास से न मर जाय।

नादान दोस्त की कहानी का सारांश 

वे चिड़िया के अंडों की सुरक्षा हेतु विभिन्न उपाय करते हैं जैसे खाने के लिए चावल और पीने के लिए पानी, छाया के लिए कूड़े की बाल्टी और अंडों के नीचे कपड़े की मुलायम गद्दी को बनाकर रखना। यह सारा कार्य उन्होंने पिता के दफ़्तर जाने और दोपहर में माँ के सो जाने के बाद किया।

परन्तु उनके उपाय निरर्थक हो जाते हैं। चिड़िया अपने अंडे स्वयं ही तोड़ देती है। बच्चों की माँ को जब यह बात पता चलती है तो वे उन्हें बताती है कि चिड़िया के अंडों को छेड़ने से वह दोबारा उन्हें सेती नहीं बल्कि उन्हें तोड़ देती है। यह सुनकर दोनों को बहुत पछतावा होता है। परन्तु बहुत देर हो चुकी होती है। वे दोनों अंडों की सुरक्षा के लिए अच्छे कार्य ही करते हैं। परन्तु ज्ञान और अनुभव की कमी के कारण वे उनकी बर्बादी का कारण बन बैठते हैं। उसके बाद उन्हें वह चिड़िया कभी दिखाई नहीं देती है। उनके छूने से अंडे खराब हो जाते थे इस बात की जानकारी इनको नहीं थी और अनजाने में बच्चों ने चिड़िया के अंडे को खराब कर दिया।

 नादान दोस्त कहानी के लेखक प्रेमचंद है।

दोनों बच्चों की नादानी से चिड़िया के अंडे खराब हो जाते हैं। ये दोंनो चिड़िया की मदद करना चाहते थे पर अनजाने में अंडे खराब कर देते हैं इसीलिए प्रेमचंद ने उन दोनों को नादान दोस्त कहा है। यह कहानी हमें सीख देती है कि किसी भी कार्य को करने से पहले पूरी तरह से सुनिश्चित कर लें कि जो आप कर रहे हैं, वह सही है या नहीं। केशव और श्यामा ने चिड़िया के बच्चों के लिए जो भी किया था यदि वे अपने माता-पिता से एक बार पूछ लेते, तो शायद वे उन चिड़िया के बच्चों को अपने सामने देख पाते।