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मुक्तक muktak

           मुक्तक

1) नहीं खोलते किसलिए मन के बंद किवाड़?
कबतक रोकेगी तुम्हें कठिनाई की आड़ ?
चलो सतत् चलते रहो अपनी दुर्गम राह,
चोटी चूमेगी चरण, चढ़ते रहो पहाड़!
         
2)  करने निज आभा से तिमिर-संहरण आई।
नभ-निवास को तजकर धरा की शरण आई।
जन-जन तक संदेशा जागरण का पंहुचाने,
सखियों की मंडली संग भोर की किरण आई।
         
3) न देवदूत है कोई, नहीं दरिन्दा है!
मुहब्बतों की उड़ानों के साथ ज़िन्दा है!
सलाम करती हैं दीवारो सरहदें उसको,
वो आदमी नहीं  शायद कोई परिन्दा है!

4)  सृष्टि शाश्वत परम्परा!
जननी माँ, पोषिता धरा!
जन्म तथा मृत्यु के मध्य,
शैशव, यौवन और जरा!

5) मंजुल मनमोही महती हैं धरोहरें!
सभी प्रहारों को सहती हैं धरोहरें!
किसे पता ये कब हो जाएंगी ध्वस्त,
सुनो ध्यान से क्या कहती हैं धरोहरें!

           -रशीद अहमद शेख 'रशीद'


लेखक परिचय :-

1- रचनाकार पूरा नाम:रशीद अहमद शेख़        'रशीद'

2- पिताका नाम:श्री नसरूद्दीन शेख़

3- माता का नाम: बानो बी शेख़

4- वर्तमान: 795/235, मदीना नगर' आज़ाद नगर, गली नं 4, इन्दौर (म• प्र•)

5- स्थायी पता: __,,___

6- फोन वं वाट्सएप नं.:9827508664

7- जन्म एवं जन्म स्थान: 01/04/1951
        महू ज़िला इन्दौर

8- शिक्षा: एम• ए•(हिन्दी व अंग्रेजी     साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल• बी•, साहित्य रत्न, कोविद

9- व्यवसाय: सेवा निवृत्त प्राचार्य

10- प्रकाशित रचनाओं की संख्या: 1964 से अबतक सैकड़ों  रचनाएँ  (गद्य-पद्य) विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, स्मारिकाओं और साझा काव्य संकलनों में प्रकाशित हो चुकी हैं। कुछ पत्र-पत्रिकाओं सहित पांच काव्य संकलनों का  संपादन किया है।
-रशीद अहमद शेख रशीद
(रचनाकार का नाम)
दिनांक-    19 अप्रैल , 2019

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