दिलों का मेल है यारी
दिलों का मेल है यारी,यह मेरी जान है यारी|इससे बढ़कर नहीं कोई मेरा ईमान है यारी||
यकीनो से यह पायी है,दुआओं में इसे माँगा|
मेरे हर लफ्ज़ में शामिल, मेरा अरमान है यारी||
इस यारी के दम पर ही,मेरा जीवन सज़ा यारा|
जरा भी झूठ ना समझो,यह मेरा मान है यारी||
एक मजदूर दुनियादारी में क्यों नहीं उलझता उस हकीकत को बयान करती कविता। मजदूर आगर काम छोड़कर एक भी दिन बैठ जाये तो उसको उस दिन भूखा ही रहना पड़ता हैं। पढ़ने के लिए क्लिक करे।
जरा भी आंच आये तो, खुद को कुर्बान कर दूंगा|
तू मुझको जान से प्यारा,मेरा अरमान है यारी||
नहीं कोई रंग है इसका, यह सतरंगी नगीना है|
खुशियों के नगीनो से, चमकती खान है यारी||
प्रीत की डोर से बाँधा है, अपनी यारी को मैंने|
यही अब मौत है मेरी,मेरा जहान है यारी||
दुनिया में इससे बढ़कर, कोई रिश्ता नहीं दिखता|
साथ जीने और मरने का,होता फरमान है यारी||
साथ जब से मिला तेरा, मेरी तकदीर बदली है |
तुमसे मिलकर मैंने जाना, बड़ी बलवान है यारी
लोकेश कुमार "साहिब"
No comments:
Post a Comment