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मुस्कुराना कुछ और होता है

मुस्कुराना कुछ और होता है 

मुकाबला टक्कर का हो तो मजा कुछ और होता है 
मुकद्दर की जीत ही होती है अदा कुछ और होता है

बाजे बजते हैं पटाखे फूटते हैं खुशीहाली है जीत की 
जोड़ के सुरमे जब लड़ते हैं कहना कुछ और होता है
 
जंग का तरीका बदल गया और पैतरे भी बदल गये
जंग हारने का यारो समझो बहाना कुछ और होता है

तुम रोटियाँ सेकते हो सियासत की आँच पर हूँ पाया 
जिंदगी जब चाहती है मयखाना कुछ और होता है

सब दिन एक समान हुआ नहीं करते समझो यारो 
चोट दिल दुखा जाती है मुस्कुराना कुछ और होता है।
 
विद्या शंकर विद्यार्थी 
 (बिहार)

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