गुरुवर के चरणों की महिमा
छू लेने दो गुरुवर अपने चरण,
माना की में आज्ञानी हूँ।
आप तो अंतर्यामी हो,
इसी लिए तो आया शरण।
छू लेने दो गुरुवर अपने चरण,
माना की में आज्ञानी हूँ।।
मोह माया ने हम को पकड़ा है,
और अपनों के प्यार ने जकड़ा है।
न कोई तेरे संग आया था,
और न कोई संग तेरे जाएगा।
फिर क्यों तू इस भावर जाल में,
अपने को क्यों उलझा रहा।
छू लेने दो गुरुवर अपने चरण,
माना की में आज्ञानी हूँ।
आप तो अंतर्यामी हो,
इसी लिए तो आया शरण।।
अच्छो को बुरा साबित करना,
दुनिया की पुरानी अदात है।
है ज्ञानी नहीं कोई यहाँ,
है सब यहाँ अज्ञानी जन।
फिर क्यों तू इस खेल में,
मानव अपने को उलझा रहा।
आज जाओ तुम सब गुरुवर की शरण,
यहाँ सब कुछ तुझे मिल जायेगा।।
छू लेने दो गुरुवर अपने चरण,
माना की में आज्ञानी हूँ।
आप तो अंतर्यामी हो,
इसीलिए तो आया शरण।।
संजय जैन (मुंबई)
21/05/2019
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