तुमसे
अब कुछ पाने की चाहत तो नहीं है, तुमसे ¡*¡बस अब भी पहले के जैसे ही बेपनाह मोहब्बत है, तुमसे ¡*¡
अब पहले की तरह हम प्यार मांगना छोड़ दिये हैं , तुमसे ¡*¡
बस अब पहले की तरह इस मोहब्बत को जताना छोड़ दिये हैं , तुमसे ¡*¡
अब कुछ पल कुछ लम्हें साथ बिताने की ख्वाहिश नहीं है, तुमसे ¡*¡
बस लौट आना ज़ब कभी गम की बारिशें हो तुम पर अब भी गुजारिश है, तुमसे ¡*¡
अब भी दिल में मिलने कि चाहत छुपी है , तुमसे ¡*¡
बस हम खुद ही नहीं मिलते हैं , तुमसे ¡*¡
अब कहीं फिर दिल ना जुड़ जाये ये , तुमसे ¡*¡
बस इन्हीं कारणों से ही हम मोहब्बत करके भी मोहब्बत को छुपाते हैं , तुमसे ¡*¡
अभिलेख मौर्या
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ReplyDeletePlease like and shear. 🙏❤️
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