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कवि पं. प्रशान्त कुमार (पी.के) कोरोना मुक्ति चालीसा" corona mukti chalisa

कोरोना मुक्ति चालीसा


                 दोहा 


"कोरोना" के नाम का, रोना हो जाये बन्द।
केवल इससे बचाव के, कर लो आप प्रबंध।।

                  चौपाई

     जय जय हे कोरोना देवा।
     चीन ने कीन्ही तुम्हरी सेवा।

     समझा निज का तुमको रक्षक।
     बन गये तुम उसके ही भक्षक।।

     चीन ने तुम पर कीन्ह भरोसा।
     पर तुम्हरा मन ना संतोषा।

     जिसने तुमको पाला पोषा।
     उसको तुमने दीन्हा धोखा।।

     कर बेवफाई पैर पसारा।
     पालक जन को तुमने डकारा।।

     भ्रष्टाचार सा अवसर पाकर।
     सब देशन मा घुसि गए जाकर।।

     ध्यान रखो सब बाल वृद्ध जन।
     युवक, युवती अन्य सब परिजन।।

     खांसी जुकाम और दर्द गले मा।
     दिक्कत होय सांस लेवे मा।।

     यहि लक्षण जो कोई मा पावें।
     सदा ही इनसे दूरी बनावें।।

     मास्क लगाई फिरहु तजि डर का।
     बिना काम नही छोड़हु घर का।।

     हाथ मिलाई न, करहु नमस्ते।
     भीड़ भाड़ से नापहु रस्ते।।

     साफ सफाई सब तनि राखहु।
     आस पास कुछ मैल न राखहु।।

     घर पर आई के हाथ मलि धोवहु।
     निर्भय इधर उधर फिर डोलहु।।

     "कोरोना" को तजि फिर रोना।
     जग से मिटि जाय यहि "को-रोना"।

     हम सब जंग लड़ेंगे तुझसे।
     हम सब नही डरेंगें तुझसे।।

    पी.एम. संग हैं हम जनता गण।
    हर पल हर दिन जीवन के हर क्षण।।

    स्वस्थ रहेंगे, स्वच्छ रहेंगे।
    सब निर्भय और मस्त रहेंगे।।

    अफवाहों पर ध्यान न देवें।
    कान सुनी पर ध्यान न देवें।।
  
    पालन कर सरकारी ज़न का।
   रखहु सुरक्षित जीवन धन का।।
 
    "पी.के." ध्यान बात यहि लावै।
     कोस दूर कोरोना भागै।।

                  दोहा

कोरोना बुरी आत्मा, तुम्हरा सत्यानाश।
तुम्हरे बुरे विचार का, होगा महाविनाश।।

विश्व के हम सब एक हो, करेंगे ऐसा उपाय।
जड़ से तू मिट जाय, फिर कबहूँ ना आय।।

           कविपं. प्रशान्त कुमार पी.के.
                साहित्य वीर अलंकृत
                       आशुकवि
                    पाली - हरदोई
                      उत्तर प्रदेश

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