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होलिका दहन की पौराणिक कथा' Holika Dahan ki pauranik katha

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होली का त्योहार 

Holi or Holika dahan ki katha kahani

 'होलिका दहन की पौराणिक कथा 

हमारे देश में कई प्रकार के तीज-त्यौहार मनाएं जाते हैं। जिसमें होली-दीपावली प्रमुख हैं। होली का त्योंहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है जिसमें बुराई रूपी होलीका जलकर भस्म हो जाती है तथा प्रहलाद बच जाता हैं। होलिका दहन के संदर्भ में हमारें पौराणिक शास्त्रों व पुराणों में बड़ा ही रोचक कथानक है। जिसमें भक्त प्रह्लाद भगवान के प्रति समर्पित भाव से भक्ति में व आराधना में लीन था। किन्तु दुर्भाग्य वश उसके पिता हिराकश्यप उसकी इस भक्ति से उसे रोकते है। क्योंकि वह श्री हरिविष्णु जी से बैर-भाव रखता था तथा अपने शक्ति व वैभव के बल पर अपने को ही भगवान मानने की सतत् गलती दोहराता रहा, हिराकश्यप राक्षसी प्रवृत्ति का था, वह देवता से भी विरोधी करता था। अर्थात् देव, गुरू, ब्राह्मण, यज्ञादि सभी के खिलाफ था। किन्तु दैव योग से उसके यहाँ एक ऐसे बालक का जन्म हुआ जिसका नाम प्रह्लाद था, हुआ जो भगवान की भक्ति में बचपन से ही संलग्न था। एक दिन की बात है वह अपने आराध्य श्रीहरि विष्णु की आराधना कर रहा था तभी उसके पिता को यह बात ज्ञात हुई और उसने उसे भूलकर भी ऐसा न करने का निर्देश दिया। किन्तु कहते हैं भक्त के लिए भगवान ही सब कुछ होते हैं और वह नहीं माना और श्री हरि का स्मरण करता रहा, उसके इस कृत्य की सजा देने के लिए उसके पिता ने उसे भांति-भांति के कष्ट दिए, अपने सैनिकों को आज्ञा देकर उसे मतवाले पागल हाथी के सामने डलवा दिया। किन्तु श्री हरिकृपा से वह हांथी उसे मारने के बजाए अपने ऊपर बिठा लिया और वह खेलता रहा उसका कुछ भी नहीं बिगड़ा। उस छोटे से भक्त को वह अनेक कष्ट व पीड़ाएं देता रहा है। इसी प्रकार एक दिन उसने उसे आग में जलाने के उद्देश्य से उसकी बहन होलिका को कहा कि वह उसको आग में लेकर बैठ जाए। जिससे वह प्रह्लाद जलकर नष्ट हो जाए क्योंकि उसकी बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था, कि वह आग में जल नहीं सकती। किन्तु हरि इच्छा से उल्टा हुआ जब राक्षसी समूह का अगुवा हिरण्यकश्यप उसे बहन के साथ बैठाकर आग लगा दी तो, वह प्रह्लाद सुरक्षित खेलता हुआ उससे निकल आया, किन्तु उसकी कपटी बहन जलकर खाख हो गई। तब से आज तक इस त्यौहार को होली व धुरेही अर्थात् रंगोली अच्छाई की जीत व बुराई की हार के रूप में स्वीकार किया गया। हमारे हिन्दू धर्म में होली के रंगों के त्योहार का बड़ा ही महत्व हैं यह बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता हैं। आप सभी को इस पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाऐं, आपके लिए मंगलमय हो ।


- ✍🏻  सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 'राज'
( सहायक उपानिरीक्षक - रक्षा सेवाऐं भारतीय सेना
और स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी )
प्रदेशाध्यक्ष - अखिल भारतीय श्री गर्ग रेडियो श्रोता संघ राजस्थान ।
निवास :-  RJMB-04 ' श्री हरि विष्णु कृपा भवन '
ग्राम :- श्री गर्गवास राजबेरा, 
तहसील उपखंड :- शिव, 
जिला मुख्यालय :- बाड़मेर, 
पिन कोड :- 344701, राजस्थान ।

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