होली की लीला
होली की लीला है सबसे न्यारी,
बच्चो का मन हर्षाती है पिचकारी,
मीठी-मीठी गुझिया लगती है प्यारी ,
थाल में सजती है 'मनोहर' रंगों की क्यारी ।
आओ लेकर गुलाल खेलो मिलकर होली,
भूल सारे मतभेद बोलो सबसे मीठी बोली,
मैंने बनाई है इस बार एक धांसू टोली,
उसमे हैं पंजू ,सत्ते, मिन्नी और रोली ।
चलो खाए नमकीन,चिप्स और नमकपारा,
नानी माँ के हाथ का पापड़ है बहुत करारा ,
चला झूमता मस्ती में गली-गली 'होलियारा' ,
एकता का प्रतीक यह पर्व है बहुत निराला।
भेदभाव दूर करो और मनाओ होली सबके संग,
मचाओ शोर, उड़ाओ गुलाल और करो हुड़दंग,
पर ध्यान में रखो, न डालना किसी के रंग में भंग ,
शान्ति का संदेश फैलाओ, दिल में लेकर नई उमंग ।
- चिन्मय शुक्ला
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