सम्भल के कदम बढ़ाना जी
खण्डे धार पंथ अति झिना ,
सम्भल के कदम बढ़ाना जी - 2
एक चूक कि कीमत जीवन ,
पड़े बहुत पछताना जी
काम क्रोध मद लोभ मोह की
तेज आंधिया बहती है
माया महा ठगनी - ठगने को
सदा ताक में रहती है - 2
झूट आडम्बर छल - कपट से
खुद को पड़े बचाना जी
मन के बहकावे में लोगो ,
लक्ष्य भूल ना जाना जी
संयम , से तप त्याग से,
चलने की ताकत बढ़ती
बनकर ढाल सतत् साधना
नित्त रक्षा करती है ।
मानव सेवा , इस दुर्गम पथ पर ,
सबसे बड़ा मित्त जी ,
आठो पहर बनी रहे
सत्य से प्रीत जी
सर्व श्रेष्ठ मार्ग यही बस ,
वेद पुराण बखाना जी
सत्य के संग चलते जाना ,
कही ना मन भटकाना जी
एक चूक की कीमत जीवन ,
पड़े बहुत पछताना जी ।
खंडे धार पंथ अति झीना
सम्भल के कदम बढ़ाना जी ।
Op Merotha hadoti kavi
छबड़ा जिला बारां ( राज०)
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