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बारिश (फ़िज़ा फातिमा)

 शाम के पांच बज रहे थे, सफ़ेद सलवार कमीज के साथ लाल दुपट्टा ओढे और हाथ मै पर्स लिए जन्नत बस स्टैंड पर खड़ी थीं, हमेशा हस्ती मुस्कुराती रहने वाली जन्नत आज खामोश थीं, ज़िन्दगी की बड़ी से बड़ी मुश्किल को वो हस कर पार कर देती थीं, लेकिन आज वो उदास थीं, जिस तरह सौ साल का बुज़ुर्ग अपनी ज़िन्दगी से ऊब जाता है, ठीक उसी तरह  वो बार बार बस को देख रही थीं, लेकिन बस शायद लेट थीं, बस स्टैंड पर खड़ी जन्नत मन ही मन खुद से बाते कर रही थीं, शायद लोग सच कहते है, परेशान हाल इंसान दुसरो की भी परेशानी की वजह बन जाता है. उधर रज़िया के लिए मै परेशानी की वजह बन गई थीं, और अब इन मुसाफिरो के लिए. मेरी खराब किस्मत का साया इन पर भी पड़ गया, ज़ब अंधेरा होने को आया तब तक सब मुसाफिर अपनी अपनी सांवरियाे से अपने मंज़िल की तरफ निकल गए 

अचानक से मौसम ख़राब होने लगा था, और ज़ोर की बारिश शुरू हो गई थीं, वहा पर कोई नहीं बचा था. मै अकेली बस स्टैंड पर खड़ी थीं,अक्सर अनजान शहर मै अजनबी ही मिलते है, लेकिन मेरी किस्मत देखो मुझे तो अजनबी भी नहीं मिले थे,बारिश हमेशा मेरे चेहरे पर मुस्कान ले कर आती थीं, ज़ब भी बारिश  होती तो मै और रज़िया तो जैसे बच्चे बन जाते थे,
पता नहीं रज़िया ने बारिश का इस्तीगबाल क्या भी होगा या नहीं, या बारिश यूँही आकर चली गई होंगी बिलकुल इस बारिश की तरह,  सोचते सोचते मेरी ऑंखें भर आयी थीं, मैंने अपने हाथों से अपने आंसू साफ किये, और खुद को दिलासा दिया, चुप हो जा जन्नत सब ठीक हो जायेगा, बारिश तेज़ होती जा रही थीं. अंधेरा बढ़ता जा रहा था,मै अकेली रोड पर खड़ी इधर उधर देख रही थीं, वहा ऐसा कोई नहीं था, जिस से मै मदद मांग पाती,.
मै वही पास पड़ी बेंच पर बैठ गई, मैंने देखा एक चिड़िया बाहर से उड़ती हुई आयी और आकर लकड़ी के बने पिलर पर बैठ गई, उसके परो से पानी टपक रहा था, वो बार बार पर हिलाकर अपने पंखो से पानी झाड़ रही थीं, उस चिड़िया मे  मै खुद को देख रही थीं, वो भी बुरे वक़्त मै हिम्मत नहीं हार रही थीं, और कंही ना कंही मै भी,
सुनसान सडक पर अकेले बैठना शायद आज भी मुझ मै बहुत हिम्मत थीं,
अचानक से पीछे से किसी के आने की आहट हुई, मैंने पीछे मुड़कर देखा,
ब्लैक पेंट वाइट शर्ट और हाथ मै फ्रूट्स की थैली लिया एक खूबसूरत नौजवान मेरे सामने खड़ा था,
वो मुसलसल मेरी तरफ देखे जा रहा था,
कुछ देर बाद उसने मुझसे पूछा, आप इतनी रात गई यंहा क्या कर रही है, कोई लेने आ रहा है, आपको या मुसाफिर है, लगातार वो मुझसे सवाल किये जा रहा था, उसके सवाल से मेरी आंखे भर आयी थीं, मैंने अपने आंसू साफ किये और बोली मेरी बस छुट्टी गई है, कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा ये जगह सेफ नहीं है, देखो मेरा नाम अयान है, और मै यही पास मै रहता हु, अगर आपको एतराज़ ना हो तो आप मेरे साथ चलिए, सुबह होते ही मै आपको इधर छोड़ दूंगा, कुछ देर सोचने के बाद मै उसके साथ उसकी कार मै बैठ गई, अनजान सडक पर अजनबी शख्श के साथ मेरी किस्मत मुझे कहा ले जा रही थीं, मुझे कुछ नहीं पता था, पता नहीं लोग कैसे अपनी पूरी ज़िन्दगी के प्लान पहले से बना कर रख लेते है, मुझे तो मेरी ज़िन्दगी के आने वाले अगले कुछ मिनिटो का भी पता नहीं था, कुछ देर बाद अयान ने एक बड़े से गेट के पास गाडी रोक ली. वो गाडी से उतर कर बाहर खड़ा हो गया, ज़ब मै कार से उतरी एक अलीशान हवेली मेरी आँखों के सामने थीं, ये अयान का घर था, जहा वो रहता था, हम दोनों ज़ब अंदर दाखिल हुए तो एक 60 65 साल की बुज़ुर्ग ने अयान से कहा, कहा रह गए थे बेटा, तुम्हे पता है मौसम खराब है तो क्यो जाते हो तुम बाहर अयान ने आगे बढ़कर उन्हें गले से लगाकर कहा दादी मुझे कुछ नहीं होगा, आखिरकार आपकी दुआएँ जो मेरे साथ है, दादी पोते के प्यार को मै महसूस कर रही थीं, अचानक से उनकी नज़र मुझ पर पड़ गई, वो आकर मेरे पास खड़ी हो गई, प्यार से मेरे सर पर हाथ रखा, और अपनी मुलाजिमा नरगिस को बुलाया और कहा इन्हे गेस्ट रूम मै ले जाओ. मै बड़ी हैरत मै थीं, अयान की दादी ने पूछा क्यो नहीं के. मै कौन हु, क्या करती हु, और कँहा से आयी हु,
कुछ देर के बाद जब् अयान खाना लेकर जन्नत के रूम मे पहुंचने तब तक जन्नत सो चुकी थीं, अयान ने जन्नत के चेहरे पर ज़ब निगाहे डाली तो वो काफी देर तक उसे खड़ा देखता रहा, जन्नत बिलकुल मासूम बच्चे की तरह बेफिक्र सोती हुई नज़र आयी, जिस तरह बच्चे की मासूमियत देखकर उसे उठाने को मन नहीं करता है, उसी तरह अयान भी उसे सूने देना चाहता था, कुछ देर बाद दादी की आवाज़ आयी अयान ने चादर उठाकर जन्नत को उड़ाइ तो उसका हाथ जन्नत के माथे पर लगा, जन्नत को बुखार था, अयान ने जन्नत की नवज़ चेक की जन्नत बुखार से भुंन रही थीं, दादी के पास गया दादी ने काढ़ा बना कर जानत को पिलाया लेकिन कर से भी कोई फर्क नहीं पड़ा, अयान बार बार जन्नत को देखता मगर उसकी तबियत मे कोई फर्क नज़र नहीं आता, बारिश और आंधी इतनी ज़ोरो की थीं, के घर से बाहर निकल ना ना मुमकिन था, अयान बहुत परेशान था, रात भर अयान जन्नत के सर पर कपड़ा भिगो भिगो कर रखता रहा, पूरी रात अयान ने आँखों ही आँखों मे गुज़ार दी, सुबह ज़ब जन्नत की आंखे खुली तो अयान उसके सरहाने बैठा सो रहा था, जन्नत एक दम उठकर बैठ गई, अयान की भी आँख खुल गई थीं,
नींद से बेदार होते ही अयान ने पूछा तुम ठीक तो हो, मे थोड़ा हड़बड़ा गई, हा मे ठीक हु, कुछ देर के बाद दादी भी आगयी, कैसी हो जन्नत बेटा तुम्हारी तबियत तो ठीक है, मैंने अपनी चादर हटाते हुए कहा, दादी मे तो बिलकुल ठीक हु, मुझे क्या होगा, दादी ने अयान की तरफ देखा अयान ने दादी को इशारा कर दिया,
मैंने अपने सर पर दुपट्टा रखते हुए कहा दादी,
एक बात पुछु, दादी ने बड़े ममता भरे अंदाज़ मे कहा पूछो बेटा, दादी मे अनजान लड़की, आपके बेटे के साथ आपके घर आगयी मगर आपने एक बार भी नहीं पूछा के मे कौन हु, कहाँ से आयी हु,
दादी ने मेरे सर पर हाथ रखा और कहाँ, बेटा ज़ब मेरी नज़र तुम पर पड़ी तो तुम्हारी ख़ामोशी ने मुझे  तुम्हारे दर्द और तुम्हारी मासूमियत से वाकीफ करा दिया,
और रही बात अयान की तो मेरा बेटा कभी कोई बुरा काम नहीं करता है, उसके हर काम मे नेकी छुपी होती है, दादी की बातें सुनकर मेरा दिल डूब गया था, मैंने अपना सर उनके पैरो पर रख लिया था,
शाम को दादी ने मुझे अपने कमरे मे बुलाया, मुझसे पूछने लगी बेटा ये बात सच है, मे तुम्हारे  दर्द से
वाकीफ हु, लेकिन ये नहीं जानती आखिर तुम्हे तकलीफ क्या है,
मेरी आंखें भीग गई थीं, दादी मेरा कोई घर नहीं है,
मे बेसहारा, गरीब और लाचार हु, इस से पहले किसी के घर नोकरानी की हैसियत से रहती थीं, वहा उनके घर का सारा काम करके 2 वक़्त की रोटी नसीब हो जातीं थीं, जिस के घर रहती थीं, उसके शोहर मुझपर इलज़ाम लगाए, ज़ब की नियत उसकी गन्दी थीं,
उसकी बी बी ने मुझे घर से निकाल दिया,,.
मैंने हज़ार हाथ पैर जोड़े मगर उन्होंने मेरी नहीं सुनी,
मे बे घर हो गई थीं, कहाँ जाऊ क्या करू कुछ समझ मे नहीं आरहा था, बस स्टैंड पर कुछ लोग खड़े बस इन्तिज़ार कर रहे थे, मे भी वही जाकर खड़ी हो गई, मे बार बार उस सडक को देख रही जिस सडक से मेरा पुराना रिश्ता था,
वहा खड़े सभी मुसाफिर धीरे धीरे चले गए, लेकिन मे वही खड़ी रही, अचानक से अयान ने मुझे देख लिया उसने सोचे शायद मेरी बस छुट् गई इसीलिए मे यंहा खड़ी हु, वो मुझे अपने साथ ले आया,
दादी मे उसे नहीं बता पायी के मे मुसाफिर नहीं बेघर हु, दादी ने कहाँ बेटा आज से तुम यही रहोगी और यहीं तुम्हारा घर है, और आज के बाद ये मत कहना के तुम यतीम हो, दादी की बात सुनके मे रो पड़ी दादी ने अपनी  ममता  के आँचल मे मुझे छुपा लिया था, मेरी ज़िन्दगी मे जैसे बाहर आगयी थीं,दादी की मोहब्बत मुझे ऐसे मिल रही थीं, जैसे मे उनकी अपनी बेटी हाेउ,,,,
अयान भी जन्नत के आजाने से घर जल्दी आ जाता था,  शाम को दादी अयान और मे हम तीनो बाहर घूमने जाते थे, संडे वाले दिन तो पता ही नहीं चलता दिन कैसे गुज़र गया,,
जन्नत इतनी मगन हो गई थीं के वो अपनी पुरानी ज़िन्दगी को भूलने लगी थीं,
मगर कभी कभी मन मे आता के मुझे अयान को बता देना चाहिए के मे यतीम हु,
लेकिन हर बार बात टल जातीं थीं,
अयान भी जन्नत मे खोने लगा था, वो भी नहीं चाहता था, के जन्नत यंहा से जाये, लेकिन वो जानता था, एक ना एक दिन तो उसे जाना ही है, जन्नत से कहने के वजहये वो चुप सा रहने लगा, उसने जन्नत से दूरिया बना ली, शाम को ज़ब जन्नत उसके कमरे मे जातीं तो वो काम का बहाना बना कर खामोश हो जाता,
जन्नत को लगता शायद ये मेरे यंहा रहने से खफा है,
जन्नत अपने कमरे मे बैठ जातीं और अयान की फोटो के सामने खडे होकर कहती, अयान खफा होने की क्या ज़रूरत है, एक बार कह दो जन्नत तुम अब यंहा से चली जाओ, मे चली जातीं, अयान दरवाज़े पर खड़ा जन्नत की बातें सुन् रहा होता है,
जन्नत ज़ब अयान की तरफ देखती है, तो उसकी आंख से आंसू चालक जाता हैँ, अयान आगे बढ़कर आंसू को अपनी हथेली पर ले लेता है,
जन्नत अपना सामान उठाकर जाने लगती है,
अयान जन्नत का हाथ पकड़ लेता है, मगर जन्नत हाथ छुड़ा कर चली जातीं है,  दादी अयान को सारी सच्चाई बता देती है, अयान दौड़ कर रोड की तरफ भागता है, जन्नत बस स्टैंड पर बैठी होती है,
अयान जाकर उसके पास खड़ा हो जाता है,
जन्नत अपना मुँह घुमा लेती है,
अयान फिर उसी तरफ मुँह कर लेता है,
और कहता है,
जन्नत मुझे माफ़ करदो, मे तुमसे मोहब्बत करता हु, तुम्हारे चले जाने के डर से मे तुमसे खफा रहने लगा था, प्ल्ज़ मुझे छोड़कर मत जाओ अगर तुम मेरे साथ नहीं गई तो दादी मुझे घर से निकाल देंगी,
जन्नत मुस्कुरा जातीं है, 
मे एक शर्त पर तुम्हारे साथ चलूंगी, अयान ने पूछा क्या, जन्नत बोली ज़ब मुझे  बुखार आएगा तो तुम मुझे दवाई नहीं खिलाओगे बल्कि मेरे पास बैठकर मेरे सर पर पट्टीया रखोगे,
अयान मुस्कुरा गया, जो हुक्म मेरे आका,

नाम,,,,,, फ़िज़ा फातिमा

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