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कवि आकिब की रचनाएं

 देश का  नाम हमको करना है

साथ मिल जुलके यार रहना है।

है  मुहब्बत हमें वतन से अगर
सब रहे मिलके ये ही सपना है।

राहबर  देश  के  मुलाज़िम  हैं
क्यूँ भला उनसे हमको डरना है।

कैसा दुश्मन हो हम नही डरते
इस  ज़माने से ये ही कहना है।

ज़ान  दे   देंगे  हम  तिरंगे  पर
अब हमें एक बनके रहना है।।

बस  मुहब्बत  ही  हो  ज़माने में
नफ़रतें अब  जरा न  सहना है।

धर्म-जाति के नाम पर 'आकिब'।
इस सियासत से अब न डरना है।।

✍️आकिब जावेद

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