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निस्वार्थ किसी अनजाने से रिश्ता निभाने की कथा।

लघुकथा -रिश्ता

समय क्या बदला, इलेक्ट्रॉनिक डिबिया मुट्ठी में समा गई। यही स्मार्ट फोन है, जिस पर चारदिवारी के रिश्तों में दूरियां बढ़ाने का आरोप भी है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। मैँ इसी डिबिया के दूसरे पहलू से रूबरू हुआ हूँ। किसी मधु  की भावात्मक पोस्ट देखकर मैंने उस पर प्रतिक्रिया क्या लिख दी, उसकी ओर से  शालीनता से शुक्रगुजारी की गई। उससे मुझे काफी अपनत्व महसूस हुआ। इसी दायरे में दोनो ओर की पोस्ट पर कई प्रतिक्रियात्मक सन्देश  निरन्तर आते -जाते रहे। एक दिन ऑफिस के लिए निकल ही रहा था, मेसेज टोन ने मेरा ध्यान आकर्षित किया। मधु ने संदेशा भेजा था- भैया, एक्जाम फार्म की अंतिम तिथि है, ₹ 5500-00 भेज पाए तो मेहरबानी होगी। उसने पैसे लौटाने का कहकर मेरे अकाउंट नम्बर भी मांगे। एक पल को मुझे लगा, मधु ने किसी प्रपंच के लिए सोची समझी मित्रता तो नहीं की? हालांकि  मैंने उस दिन मधु का बैंक अकाउंट नम्बर लेकर राशि भेज तो दी, लेकिन बाद में आशंका के चलते संदेशों पर कुछ ब्रेक भी लगा दिया ।

चार माह बाद कल फिर मधु का एक सन्देशा आया, भैया आपके सहयोग से एमएससी यूनिवर्सिटी टॉप हो चुका है।  मैंने आपके अकाउंट में 5600 ट्रासंफर कर दिए हैं, अपनी बहन की सफलता की खुशी में मुंह भी मीठा कर लेना।

मुझे जब यह पता चला कि मधु के पिता नहीं थे, मां मजदूरी की जमा पूंजी और ट्यूशन  से मधु की अत्यल्प आय के कारण फार्म जमा न होने से मधु ने मुझसे पैसे मांगे थे तो उस स्वाभिमानी रिश्ते की मधुरता के आगे, पैसों से  खरीदी गई मिठाई आज फीकी लग रही थी।



*नरेंद्र राणावत*
*मूली चितलवाना*
*जिला जालौर*
*राजस्थान*
+919784881588


5 comments:

  1. जरूरी नहीं कि खूनी रिश्तों को ही निभाया जाए ,
    निस्वार्थ किसी अनजान से रिश्ता निभाना ही सच्ची सेवा है ।। By Raj.Bishnoi 9602450994

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  2. बधाई हो मित्र, कई कुटिल लोग दुनिया मे हैं, जिनकी वजह से, आत्मीय रिश्तों में भी वह होता है । आशंका के चलते आपने सहायता न की होती तो एक प्रतिभा कुंठित तो होती ही, ये अनुपम रिश्ता असमय लुप्त हो जाता। मुझे बताया गया यह हकीकत आधारित रचना है । आप भाई-बहन दोनों के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।

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  3. ऊपर कमेंट्स में - "आत्मीय रिश्तों में भी वहम होता है" पढ़ें।

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  4. बहुत खूब ।। कुछ कुटिल लोगों की वजह से अच्छाई पर विश्वास कमजोर हुवा जरुर है पर मिटा नहीं। वो गाना याद आ गया
    "कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
    कहीं पे निकल आये जन्मों के नाते।"

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