कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

पुलवामा हमले में शहीद जवानों पर कविता


          पुलवामा

कितना है प्यार वतन से, बताकर चले गए`2
एक साथ गए जो 44 हमें रुलाकर चले गए

यहाँ माँ अब रो रही है बहने बिलख रही है2
वादा किया था जिससे वो भुलाकर चले गए

अब किसको बोले पापा किसको कहे भाई2
यारो को भी अब उसने वो रूठाकर चले गए

होली के रंग पियर ना गुलाबी हुआ पसंद2
लहुँ के लाल में अपने को वो समाकर चले गए

एक माँ ये कह रही है बेटा दो मुझको पूरा2
आधा घर को देकर वो आधा लेकर चले गए

तुमपर नमन है मेरा वो भारत माँ के बेटे2
भारत माँ का आँचल वो भिगाकर चले गए

कैसे कहूं मैं उसको जिसको तुमने चाहा2
अंजान को भी अपना तुम बनाकर चले गए

एक बात तो तय है "अब्दुल" भारत जगा है2
अशफाक हामिद भगत को जगाकर चले गए
     
*अब्दुल दीवाने कलाम*

No comments:

Post a Comment