हास्य_muktak
(1)
तू मुझसे रूठ जाएगी जमाना छोड़ दूंगा मै,
तुझे कल से ही पगली अब सताना छोड़ दूंगा मै,
तू गर रूठी रहेगी अब सदा अपने दीवाने से,
अगर ठंडी पड़ेगी अब नहाना छोड़ दूंगा मै।
(2)
जो भी सुनता अब तक लगा गीत है,
कल की बातें भी मुझको लगी प्रीत है,
चाहता था तुझे डेरे पर मै सदा,
तू मेरी जीत है कि हनीप्रीत है।
(3)
तुम्हारी प्यार वाली बातों को मै म्यूट कर दूंगा,
तुम्हारी चाहतों का बल्ब अब मै फ्यूज कर दूंगा,
अगर तुम प्यार की ऐसे छुपाओगी यहां रह के,
कसम से प्यार को तेरे मै ब्रेकिंग न्यूज़ कर दूंगा।
(4)
कुछ बोल के लगता है पगली सारमाय गई हो हमसे अब,
ना मिलन कभी होगा सुनकर भरमाय गई हो हमसे अब,
लाठी तो तुमसे ज्यादा मिली हमको बजरंगदल वालों से,
सब न्यूज हमारा देख रहें तुम छाए गई हो हमसे अब
हास्य कवि आशीष कविगुरु
( प्रयागराज) उत्तर प्रदेश
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